विज्ञान द्वारा किए शोधकार्य को अध्यात्मशास्त्र से मान्यता मिलनी चाहिए !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘जो सत्य होता है, वही चिरंतन रहता है । धर्मशास्त्र में दिए सिद्धांत युगों-युगों से वही हैं ।उनमें कोई भी परिवर्तन नहीं कर पाया । इसके विपरीत विज्ञान के सिद्धांतों में कुछ वर्षों में ही परिवर्तन हो जाता है; क्योंकि विज्ञान अंतिम सत्य नहीं बता सकता । ऐसे विज्ञान को अध्यात्म से श्रेष्ठ मानना, इससे बडा अज्ञान का अन्य कोई उदाहरण नहीं ।कहने का अर्थ है विज्ञान द्वारा किए शोधकार्य को अध्यात्मशास्त्र से मान्यता मिले, तभी उसे सत्य मानना चाहिए, यह ध्यान रखें !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक