कोरोना प्राकृतिक नहीं, अपितु जैविक युद्ध था !
श्री श्री रविशंकर का दावा !
नई देहली – संपूर्ण विश्व को कोरोना से लडना पडा । लोगों को २ वर्षों तक घर में ही रहना पडा । कोरोना के प्रभाव पर मैंने उस समय कहा था कि यह बीमारी प्राकृतिक नहीं है । यह कुछ देशों और लोगों का षडयंत्र है । यह जैविक युद्ध है । मेरे शिष्यों ने मुझे ऐसा न बोलने की सलाह दी; क्योंकि इससे विवाद निर्माण होता । मैं जो कह रहा था वह अब सिद्ध हो गया है, ऐसा दावा ‘आर्ट ऑफ लीविंग’ के श्री श्री रविशंकर ने अपने एक प्रवचन में किया । वे बोले, ‘बडे देश अब कह रहे हैं कि कोरोना के विरुद्ध टीका (vaccine) बहुत उपयोगी सिद्ध नहीं हुआ । इसलिए संक्रमण का प्रसार थम नहीं रहा है ।’
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग किया जाना चाहिए और उसके लिए ‘एनएओक्यू’ १९’ औषधि बनाई और इसका १४ रुग्णालयों में परीक्षण किया गया । इस औषधि का उपयोग अब कोरोना के उपचार में हो रहा है । यह औषधि विदेश के अनेक बडे विश्वविद्यालयों में भेजी गई । वहां के लोग समझ गए कि यह औषधि कोरोना को रोकने में सफल होगी । श्री श्री रविशंकर ने यह भी कहा कि हमें अपने ही देश के योग और आयुर्वेद पर श्रद्धा होनी चाहिए ।
कोरोना का जन्म वुहान की प्रयोगशाला में हुआ !
एफ.बी.आई. के निदेशक का मत
वॉशिंग्टन (अमेरिका) – अमेरिका के गुप्तचर विभाग के (एफ.बी.आई.) के निदेशक क्रिस्टोफर व्रे ने यह दावा किया करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षाें से हम कोरोना की उत्पत्ति के विषय में शोध कर रहे हैं । हमने इसमें जो निरीक्षण प्रविष्ट किए हैं, उसके अनुसार कोरोना विषाणु का जन्म चीन के वुहान की प्रयोगशाला में होने की बडी संभावना है । उन्होंने यह भी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें विशेषपूर्ण बात यह है कि इसके संदर्भ में कोई शोध कर रहे हों, तो चीन सरकार की ओर से उनके काम में बाधाएं उत्पन्न की जाती हैं । (२.३.२०२३)