धर्मान्तरित दलित ईसाइयों और मुसलमानों को आरक्षण का लाभ देनाचाहिए या नहीं, इस पर होगा चिंतन ?
राष्ट्रीय स्व संघ के ‘विश्व संवाद केंद्र’ का शिविर !
नोएडा (उत्तर प्रदेश) – ईसाई और इस्लाम धर्म अपना चुके अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए या नहीं ? इस विषय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘विश्व संवाद केंद्र’ विभाग ने दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया है । शिविर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के सहयोग से ४ मार्च से प्रारंभ होगा । शिविर में न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, शोध छात्रों, अशासकीय संगठनों और कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों के भाग लेने कीअपेक्षा है ।
१. अक्टूबर २०२२ में केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था । अन्य धर्मों में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति के लोगों की वर्तमान स्थिति क्या है ? आयोग इसकी जांच करेगा । प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए उसे २ वर्ष की समय सीमा दी गई है ।
२. अभी तक केवल हिन्दू धर्म के दलित, बौद्ध और सिखों को ही आरक्षण का लाभ मिल रहा है । सर्वोच्च न्यायालय में यह सुनिश्चित करने के लिए कई याचिकाएं लंबित हैं, कि इस्लाम में परिवर्तित होने वाले ईसाइयों और दलितों को भी आरक्षण का लाभ मिले ।
३. रंगनाथ मिश्र और सच्चर आयोग की स्थापना कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल के समय की गई थी । इन दोनों आयोगों के प्रतिवेदन दलित मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने के पक्ष में थे । सच्चर आयोग के प्रतिवेदन में पाया गया कि ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने केउपरांत भी दलितों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में कोई उत्कर्ष नहीं हुआ । वर्ष २००७ में मिश्रा आयोग ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उसने अनुसूचित जातियों को धर्म से अलग करने कीअनुशंसा की थी ।
विहिप का आरक्षण देने को विरोध !
विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी विजय शंकर तिवारी ने इस प्रकरण को लेकर कहा कि विहिप का स्पष्ट मत है कि ईसाई और इस्लाम धर्म अपना चुके अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए । साथ ही उन लोगों को भी आरक्षण मिलना चाहिए जो हिन्दू धर्म में वापसी कर रहे हैं ।