‘पद्मविभूषण’, ‘पद्मभूषण’ एवं ‘पद्मश्री’ पुरस्कार तथा उनके वास्तविक अधिकारी !

(पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी

१. ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार का विशेष महत्त्व !

‘केंद्र सरकार ने वर्ष १९५४ से ‘पद्म’ पुरस्कार प्रदान करना आरंभ किया । २६ जनवरी को राष्ट्रपति के हस्तों ये पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘भारतरत्न’ के उपरांत ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार दूसरा प्रतिष्ठित सम्मान है । अभी तक २४२ लोगों को ये पुरस्कार प्रदान किए गए । सर्वप्रथम साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करनेवाले बंगाल के सत्येंद्रनाथ बोस को पहला पुरस्कार दिया गया । वर्ष २०२३ में यह ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार समाजवादी दल के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव को दिया गया है ।

‘पद्मविभूषण’, ‘पद्मभूषण’ एवं ‘पद्मश्री’ पुरस्कारों के संदर्भ में राज्य सरकारें, संघराज्य प्रशासन एवं केंद्रीय मंत्रालय की एकत्रित बैठक में विचार-विमर्श होता है । उसके लिए एक समिति गठित की गई है । यह समिति उन्हें मिलनेवाले सभी अनुशंसाओं पर विचार करती है । उसके उपरांत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं राष्ट्र्रपति उसका अनुमोदन करते हैं तथा २६ जनवरी को ये पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं । वर्ष २०१७ के उपरांत राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार के साथ ही सामान्य नागरिक भी, ये पुरस्कार किन लोगों को मिलने चाहिए, इसकी अनुशंसा कर सकते हैं ।

२. समाज के लिए उल्लेखनीय कार्य करने के लिए ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए महनीय व्यक्ति !

इससे पूर्व ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार महर्षि धोंडो केशव कर्वे, रतन टाटा, घनश्यामदास बिडला, जॉन मथाई, वी.आर. कृष्णा अय्यर, महादेव श्रीहरि अणे, विक्रम साराभाई, पूर्व सेना प्रमुख सैम माणेकशॉ, सुब्बालक्ष्मी, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, वैज्ञानिक सतीश धवन, पंडित बिरजू महाराज, प.पू. पांडुरंग शास्त्री आठवलेजी, तर्कतीर्थ लक्ष्मण शास्त्री जोशी, अटल बिहारी वाजपेयी, गोविंदभाई श्रॉफ, लक्ष्मी सहगल, उषा मेहता, संगीत कोकिला लता मंगेशकर, पंडित भीमसेन जोशी, नानाजी देशमुख, पंडित जसराज, हरि प्रसाद चौरसिया, ऋषिकेश मुखर्जी, किशोरी आमोणकर, जयंत नारळीकर, फली नरिमन, विश्वनाथ आनंद, सचिन तेंदुलकर, अनिल काकोडकर, माधवन नायर एवं अजीम प्रेमजी को मिला है ।

३. श्रीराम भक्तों पर गोलीबारी करने का आदेश देनेवाले मुलायम सिंह यादव को दिया गया ‘पद्मविभूषण’ !

उक्त उल्लेखित महनीय व्यक्तियों ने खेल, नाटक, लोकसेवा, साहित्य, संगीत, अंतरिक्ष, शोधकार्य, उद्योग आदि महत्त्वपूर्ण तथा मनुष्यजाति के लिए कल्याणकारी संगठनों में उल्लेखनीय कार्य किया है; परंतु ऐसा होते हुए समाज एवं भक्तों की दृष्टि से घृणास्पद काम करनेवाले मुलायम सिंह यादव जैसे व्यक्ति को यह पुरस्कार कैसे दिया गया ? मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करनेवाले कारसेवकों पर गोलीबारी करने के आदेश दिए थे, जिसमें अनेक रामभक्तों की मृत्यु हुई । उसमें कोठारी भाईयों का स्मरणपूर्वक उल्लेख करना पडेगा । यह सर्वविदित होते हुए भी वर्तमान केंद्र सरकार ने किन मापदंडों के आधार पर मुलायम सिंह यादव को ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया ?, यह समझ से परे है ।

४. मुलायम सिंह को ‘पद्मविभूषण’ मिलना अन्य पुरस्कार प्राप्त महनीय व्यक्तियों का अनादर !

मुलायम सिंह यादव को ‘पद्मविभूषण’ देने के पीछे भले कोई भी कारण हो; परंतु आज तक जिन महनीय व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, उनका यह अनादर है; ऐसा सामान्य नागरिकों तथा विशेष रूप से रामभक्तों को लगता है, तो उसमें अनुचित क्या है ? हिन्दू राष्ट्र में ऐसे धर्मद्रोहियों को दंड तो अवश्य ही मिलेगा; परंतु उसके साथ ही ‘कर्मफलन्याय’ सिद्धांत के अनुसार मृत्युपरांत अगली योनि में जन्म लेने पर भी उन्हें उसका फल भोगना ही पडेगा । धर्मशास्त्र के अनुसार तभी जाकर यह लेन-देन पूर्ण हो सकता है । ‘इस लोकतंत्र में भले ही वे गौरवान्वित हुए हों; परंतु भगवान उन्हें निश्चित रूप से दंड देंगे’, सामान्य नागरिकों एवं रामभक्तों का यह दृढ विश्वास है ।’

श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।

– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय. (१०.२.२०२३)