टीपू सुल्तान के समर्थकों को जीवित रहने का अधिकार नहीं!
बीजेपी के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष नलिनकुमार कटील का वक्तव्य !
बेंगलुरु (कर्नाटक) – हम टीपू सुल्तान के वंशज नहीं हैं, हम श्री राम और श्री हनुमान के भक्त हैं । हमने टीपू सुल्तान के वंशजों को राज्य से निकाल दिया है। टीपू सुल्तान का समर्थन करने वालों को जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है । बीजेपी के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष नलिनकुमार कटील ने कहा है कि कर्नाटक में वही लोग रहेंगे जो भगवान श्री राम और श्री हनुमान के भक्त हैं । येल्लाबुर्गा में बीजेपी की एक सभा में उन्होंने ऐसा कहा ।
We're devotees of Lord Ram & Hanuman. We're not Tipu's descendants, we sent his descendants back. So I ask the people of Yelaburga, do you worship Hanuman or sing Tipu's bhajans? Will you chase away people who sing Tipu's bhajans?: Karnataka BJP president Nalinkumar Kateel(14.02) pic.twitter.com/6vgUhWmC4Z
— ANI (@ANI) February 15, 2023
(और इनकी सुनिए… ) ‘मैं टीपू सुल्तान का नाम बार-बार लूंगा !’ – असदुद्दीन ओवैसी
ए.एन.आई. समाचार वाहिनी से बात करते हुए एम.आई.एम. के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विवाद पर कहा, ‘मैं बार-बार टीपू सुल्तान का नाम लूंगा, मैं देखता हूं कि आप क्या करते हैं।’ साथ ही क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष के वक्तव्य से सहमत हैं ? यह प्रश्न पूछते हुए कि क्या बी.जे.पी. कटील के विरुद्ध कार्रवाई करेगी, उन्होंने कहा, ‘कटील का वक्तव्य हिंसा और नरसंहार को प्रोत्साहित करने वाला है।’
संपादकीय भूमिकाटीपू जिसने एक ही दिन में १ लाख से ज्यादा हिंदुओं की हत्या की एवं उनका धर्मांतरण कर दिया, हिन्दुओं को विदित है कि उसका नाम कौन और क्यों ले रहा है ! विभाजन के समय उन्हें पाकिस्तान भेज देना उचित होता; किन्तु यदि कोई कहे कि ‘अभी भी समय नहीं बीता’ तो ऎसा कहना त्रुटिपूर्ण नहीं होना चाहिए! |
राजनीतिक नेताओं द्वारा टीपू सुल्तान के नाम का प्रयोग! – टीपू सुल्तान के वंशज
राजनीतिक नेता अपनी सुविधा के अनुसार टीपू सुल्तान के नाम का उपयोग करते हैं। उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। टीपू सुल्तान के वंशज मंसूर अली ने अपने उत्तर में उन लोगों के विरुद्ध क्षतिपूर्ति के लिए प्रकरण प्रविष्ट करने की बात की, जिन्होंने टीपू सुल्तान के नाम का दुरुपयोग किया है। (क्या मंसूर अली, ओवैसी के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई करने का साहस करेंगे ? – संपादक)