शिवपिंडी पर बिल्वपत्र चढाने की पद्धति से संबंधित अध्यात्मशास्त्र
बिल्वपत्र, तारक शिवतत्त्व का वाहक है, तथा बिल्वपत्र का डंठल मारक शिवतत्त्व का वाहक है ।
शिवजी से करने योग्य कुछ प्रार्थनाएं १. हे महादेव, आपके समान वैराग्यभाव मुझमें भी उत्पन्न होने दीजिए । २. हे शिवशंकर, अनिष्ट शक्तियों की पीडा से आप मेरी रक्षा कीजिए । आपके नामजप का सुरक्षा-कवच मेरे सर्व ओर सदैव रहने दीजिए, यही आपके चरणों में प्रार्थना है । |
१. भगवान शिव के तारक रूप की उपासना करनेवाले
सामान्य उपासकों की प्रकृति तारक स्वरूप की होने से, शिवजी के तारक रूप की उपासना करना ही उनकी प्रकृति से समरूप होनेवाली तथा आध्यात्मिक उन्नति हेतु पोषक होती है । ऐसे लोगों को शिवजी के तारक तत्त्व से लाभान्वित होने के लिए बिल्वपत्र का डंठल पिण्डीकी दिशा में और अग्रभाग अपनी दिशा में रखते हुए चढाएं ।
२. भगवान शिव के मारक रूप की उपासना करनेवाले
शाक्तपंथीय उपासक शिवजी के मारक तत्त्व का लाभ लेने हेतु बिल्वपत्र का अग्रभाग देवता की दिशा में और डंठल अपनी दिशा में कर चढाएं ।
पिंडी में आहत (पिंडी पर सतत गिरनेवाले जल के आघात से उत्पन्न) नाद के + अनाहत (सूक्ष्म) नाद के । ये दोनों पवित्र कण एवं चढाए हुए बिल्वपत्र के पवित्रक, इन तीनों पवित्र कणों को आकर्षित करने के लिए तीन पत्तों से युक्त बिल्वपत्र शिवजी को चढाएं । बिल्वपत्र को अौंधे रख एवं उसका डंठल अपनी ओर कर बिल्वपत्र पिंडीपर चढाएं ।
– श्रीमती प्रियांका सुयश गाडगीळ (पूर्वाश्रम की कु. प्रियांका लोटलीकर), महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय