हिन्दू राष्ट्र में ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’ होगा !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘हिन्दू राष्ट्र में जातियां नहीं होंगी । इसलिए जातीय आरक्षण मिलने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होगा । राष्ट्रहित के लिए सर्व स्थान गुणों के आधार पर भरे जाएंगे ।’
‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ आदर्श राष्ट्र है !
‘अश्लील चलचित्र’, ‘पब’, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसी बातों को शासनकर्ताओं ने मान्यता दी । इससे राष्ट्र की जनता का चरित्र नष्ट हो रहा है । ‘रामराज्य’ और छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दवी स्वराज्य’ आदर्श था; क्योंकि वे राज्य चरित्रसंपन्न थे । क्या आजकल के शासनकर्ता यह ध्यान में रखकर ‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ निर्माण करने का प्रयास करेंगे ? भावी हिन्दू राष्ट्र (सनातन धर्म राज्य) चरित्रसंपन्न ही होगा ।’
अहंभाव रखनेवाले डॉक्टर और अहंभावशून्य ईश्वर !
‘डॉक्टर रोगियों को छोटे-बडे रोगों से बचाते हैं एवं उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर साधकों को भवरोग से अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करते हैं, तब भी वे अहंशून्य होते हैं !’
‘लेखापरीक्षक कुछ व्यक्तियों का लेखा परीक्षण करते हैं तथा उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर अनंत कोटि ब्रह्मांड के प्रत्येक जीव के प्रत्येक क्षण का लेखा जोखा (अकाउंट) रखते हैं, तब भी वे अहंशून्य हैं !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले