संपूर्ण जोशीमठ गांव को स्थानांतरित करना अयोग्य ! – सर्वेक्षण दल

नई देहली – वर्तमान में उत्तराखंड का जोशीमठ भूस्खलन का सामना कर रहा है; लेकिन संपूर्ण जोशीमठ गांव को स्थानांतरित करना अयोग्य है, ऐसा मत जोशीमठ के सर्वेक्षण के लिए गए दल ने व्यक्त किया । किसी भी ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले यह दल जोशीमठ का पुन: सर्वेक्षण करेगा ।

इस सर्वेक्षण दल में श्रीनगर के एच.एन.बी.गढवाल मध्यवर्ती विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में प्रा.मोहन सिंह पनवार, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के उपमहासंचालक डॉ. सेंथिएल और देहली विश्वविद्यालय के प्रा. तेजवीर राणा को नियुक्त किया गया था । इस दल ने जोशीमठ गांव जाकर वहां हो रहे भूस्खलन को वैज्ञानिक और सामाजिक आधार पर खोजने का प्रयास किया ।

१. प्रा. पनवार ने बताया कि, सर्वेक्षण की दृष्टि से जोशीमठ के ५ विभाग किए गए हैं । जिसमें उच्च प्रभाव, मध्यम प्रभाव, अल्प प्रभाव, सुरक्षित क्षेत्र और बाहरी क्षेत्र का समावेश हैै ।

२. पिछले ५० वर्षों में जोशीमठ गांव यह कैसे बदला ?, इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जा रहा है । इस कालावधि में हुए भूस्खलन की घटनाओं का अध्ययन किया जा रहा है, साथ ही निर्माणकार्य का अध्ययन किया जा रहा है ।

३. जोशीमठ के भूस्खलन के कारण के घटकों को खोजने के लिए ‘रिमोट सेन्सिंग’ द्वारा उपलब्ध उपग्रह छायाचित्रों को भी अध्ययन किया जा रहा है । इसके उपरांत संपूर्ण ब्योरा तैयार कर सरकार को सौंपा जाएगा, ऐसा भी प्रा. पनवार ने बताया ।