अनुशासनहीनता का शतक किया पार !
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ‘भारत जोडो’ यात्रा के माध्यम से देशभर मार्गक्रमण कर रहे हैं । अतिमहनीय व्यक्ति होने से उनके लिए उस स्तर की सुरक्षाव्यवस्था होनी ही है ! अर्थात्, उस सुरक्षायंत्रणा का आदर रखना प्रत्येक का कर्तव्य होता है; किन्तु राहुल गांधी ‘कर्तव्य’ शब्द का अर्थ भी जानते हैं अथवा नहीं ?’, इसमें शंका ही है । ‘उन्होंने वर्ष २०२० से ११३ बार सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया है । ‘भारत जोडो’ यात्रा के समय में भी उल्लंघन की अनेक घटनाएं हुई हैं’, ऐसी जानकारी ‘केंद्रीय आरक्षित पुलिस दल’ ने (‘सी.आर.पी.एफ.’ ने) दी है । इसके लिए ‘राहुल गांधी की असावधानता (लापरवाही) ही कारण है’, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा । यंत्रणा ने उन्हें इस उल्लंघन पर समय-समय पर सचेत भी किया था । कांग्रेस पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा को भेजे पत्र में मांग की थी कि ‘राहुल गांधी को उचित सुरक्षाव्यवस्था दी जाए । पुलिसदल ने उस पत्र के प्रत्युत्तर में बताया, ‘‘राहुल गांधी को ‘झेड प्लस’ स्तर की सुरक्षा दी गयी है । इसलिए उनका सुरक्षा घेरा तोडकर लोग उन तक नहीं पहुंच सकते; किंतु राहुल गांधी स्वयं ही नियमभंग कर रहे हो और उसीमें कुछ अघटित हुआ, तो उसका उत्तरदायी कौन ?’’ अबतक ११३ बार नियमभंग किया, तो वास्तव में उनपर कार्यवाही होनी चाहिए थी ।‘ वह क्यों नहीं हुई ?’, इसका पता लगाना चाहिए ।
कथनी और करनी …!
कांग्रेस ने भारत में ६० वर्ष देश पर राज्य का उपभोग किया; किंतु न जनता को अनुशासित किया, न स्वयं ही अनुशासन का पालन किया । इसके अनेक दुष्परिणाम देश आज भोग रहा है । संक्षेप में, अनुशासन और कांग्रेस का दूर-दूर तक संबंध नहीं है । जो स्वयं में नहीं है, वह दूसरों में कैसे निर्मित करेंगे ? इसीलिए तो राहुल गांधी ने सुरक्षायंत्रणा के नियमाें के उल्लंघन का शतक (?) पार किया ! उससे उन्हें तो कोई लेना-देना नहीं होगा ।
आजतक वंशवाद (घरानेशाही) से उत्तराधिकार उपभोगनेवाले गांधी घराने को अनुशासन, प्रेम, नेतृत्व, कार्यकुशलता, कार्यतत्परता का क्या मूल्य होगा ? भारत को जोडना चाहनेवाले ही यदि नियमों की उपेक्षा कर रहे हों, तो इससे क्या कभी भारत जुड सकता है ? देश जोडने के लिए इच्छाशक्ति, राष्ट्रनिष्ठा, नागरिकाें के प्रति आदर होना चाहिए । इसप्रकार एक-एक धागे से ही देश की नाल जोडी जा सकती है । यह सब राहुल गांधी कब समझेंगे ? मुंबई में हाल ही में हुए कांग्रेस के एक कार्यक्रम में इन्होंने ही अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘आप सभी में प्रेम बढाना, अनुशासन लाना मेरा काम है ।’’ ११३ बार नियमों क उल्लंघन करनेवाला व्यक्ति कार्यकर्ताओं में अनुशासन कैसे लाएगा ? कुछ वर्ष पहले ठाणे महापालिका के चुनावों के समय नगर काँग्रेस ने ‘काम में टालमटोल करनेवाले अथवा वरिष्ठाें की चापलूसी करनेवाले कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करेंगे’, ऐसा अनुशासन का डंडा उठाया था । वर्ष २०१८ में कांग्रेस के नेता दीपक बाबरिया ने कार्यकर्ताओं को ‘अनुशासन क्या होता है ?’,यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीखो ’, ऐसा बहुमूल्य परामर्श दिया था । कारण था, उस समय एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने आसंदियों पर ऊधम मचाया था । राहुल गांधी संभवत: ये घटनाएं नहीं जानते हाेंगे । वे अपने ही कार्यकर्ताओं से उन्हें जान लें, अन्यथा ‘कथनी और कहनी में अंतर’ ऐसी उनकी अपनी स्थिति होगी । भारतीय संघ के निवृत्त यशस्वी कर्णधार महेंद्रसिंह धोनी ने क्रीडांगण में विलंब से आनेवाले खिलाडियों को १० सहस्र रुपयों का अर्थदंड (जुर्माना) दिया था । ततपश्चात कोई भी खिलाडी विलंब से नहीं आया । इसे कहते हैं ‘नेतृत्व’ ! इसे ध्यान में लेकर राहुल गांधी आत्मचिंतन करें । उनके सुरक्षा नियमाें का इतनी बार उल्लंघन करने का वृत्त सर्वत्र प्रसारित होने से उनका खरा रूप जनता के सामने उजागर हो गया है । निर्मलता का झूठा दिखावा करते हुए जिस जनता के सामने हम प्रतिदिन जाते हैं, वह जनता क्या कभी उनके ‘भारत जोडो’ यात्रा को आशा से देखेगी ?
आदर्श कौन ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विगत ५० वर्षोंं का उनके उदरनिर्वाह का लेखा-जोखा कोई पूछे, तो वे उसे दे सकेंगे; इसलिए कि उनका चारित्र्य निष्कलंक है । इसीलिए वे अत्यंत विश्वसनीय, कर्तृव्यनिष्ठ और द्रष्टा प्रधानमंत्री हैं । भारत के नागरिकाें को भी उनके प्रति आदर है । आज की युवा पीढी बडी संख्या में ‘नरेंद्र मोदी’ को ‘फॉलो’ करती है और राहुल गांधी का उपहास उडाती, ऐसा चित्र सर्वत्र है । कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस में शिथिलता आ गई थी । तब राहुल गांधी सक्रीय हुए एवं ‘होनहार नेता’ के स्वरूप में, नए मुखडे के रूप में अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया । तब कांग्रेसियों को भी ‘आशा की किरण’ दिखाई दी थी; किंतु उनके बचपने के कारण वह शीघ्र ही लुप्त हो गई । राहुल गांधी अपनी मलिन हो चुकी प्रतिमा को ‘भारत जोडो’के माध्यम से पुन: एक बार सुधारने का प्रयास कर रहे हैं; किंतु भारतद्वेषी और हिन्दूद्वेषियों को साथ ले कर चलनेवाली यात्रा क्या साध्य कर पाएगी? ‘यह भारत के समझदार हिन्दू भली-भांति जानते हैं’, यह राहुल गांधी ध्यान में रखें । कांग्रेस ने अबतक अनगिनत दुष्कृत्य किए हैं । जनता उन्हें कभी भी नहीं भूलेगी ।
अबतक कांग्रेसियों का अनुसरण कर, उनके पदचिन्हें पर चलनेवाले राहुल गांधी को इन सबसे बोध लेना चाहिए । मनुष्य २-४ बार गलतियां कर सकता है; परंतु फिर तो वह समझदार बनने का प्रयास करता है । यहां तो ११३ बार नियम भंग करने का दुस्साहस होता ही कैसे है ? ‘भारत जोडो’के नेतृत्व की दृष्टि से यह अत्यंत अशोभनीय है । अब आशा करते हैं कि ३ जनवरी से पुन: आरंभ होनेवाली यात्रा में कम से कम राहुल गांधी सभी नियमाें का विधिवत् पालन करेंगे !