नोटबंदी वैध ! – उच्चतम न्यायालय का निर्णय
नई देहली – वर्ष २०१६ में केंद्रशासन द्वारा की नोटबंदी उचित ही थी, ऐसा निर्णय उच्चतम न्यायालय के ५ न्यायाधीशों की खंडपीठ ने दिया । नोटबंदी के विरोध में देश में कुल ५८ याचिकाएं प्रविष्ट की गई थी । उस पर खंडपीठ ने एकत्रित निर्णय दिया । पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि, ‘नोटबंदी के निर्णय में कोई भी त्रुटि नहीं थी । यह आर्थिक निर्णय अब बदला नहीं जाएगा’ । संविधान पीठ ने ४ के मुकाबले १ के बहुमत से यह निर्णय दिया । इस ५ सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रह्मण्यम् और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना का समावेश था ।
इनमें से न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अन्य ४ न्यायाधीशों से अलग निर्णय दिया । उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी निर्णय अवैध था । इसे अध्यादेश के स्थान पर कानून पारित कर लेना चाहिए था; लेकिन अब इससे इस पुराने निर्णय पर कोई भी परिणाम नहीं होगा ।’
As Supreme Court upholds Centre's 2016 demonetisation decision, leaders welcome verdict https://t.co/gncBGiayhv
— Republic (@republic) January 2, 2023
१. संविधानपीठ ने निर्णय देते हुए कहा, ‘नोटबंदी के निर्णय पूर्व केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक में चर्चा हुई थी । इसलिए यह निर्णय मनमाने ढंग से नहीं लिया गया था, ऐसा स्पष्ट होता है ।’
२. केंद्र सरकार ने नोटबंदी के निर्णय का बचाव करते समय कहा था कि, यह परिणामकारक निर्णय जाली नोट, आतंकवाद को आर्थिक सहायता, काला धन और कर चोरी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए लिया गया था । आर्थिक नीति में बदलाव की श्रृंखला में यह सबसे बड़ा कदम था । यह निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय संचालक बोर्ड के सिफारिश के अनुसार लिया गया था । नोटबंदी के कारण नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में वृद्धि, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए ।