मध्य प्रदेश राज्य के मान्यवरों के पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ के विषय में उद्बोधक विचार !
मैं विगत छः-सात महीनों से ‘सनातन संस्था’ के मुखपत्र सनातन प्रभातका एक नियमित पाठक हूं । यह मेरा सौभाग्य है कि पत्र के माध्यम से मुझे संस्था से भी जुडने का सुयोग मिला । हिन्दी पाक्षिक सनातन प्रभात पढकर ज्ञात होता है कि हिन्दुओं की स्थिति आज कितनी भयावह, कितनी चिंताजनक हो चुकी है । हमें कौन-कौन से त्वरित व दीर्घकालिक उपाय करने चाहिए, यह मार्गदर्शन भी अनेक विद्वानों के विचारों को पढकर प्राप्त होता है ।
हम अपनी दीर्घकालिक पराधीनता के दुष्प्रभाव से अपनी ही सनातन संस्कृति से निरंतर अनभिज्ञ होते जा रहे थे । यह सनातन प्रभात आशा का वह देदीप्यमान दीप है जो हमें विश्वास दिलाता है कि मार्ग उज्ज्वल है, लक्ष्य समीप है परंतु हमें अनवरत संघर्ष करते रहने तथा लक्ष्य के प्रति दृढ प्रतिज्ञ रहने की आवश्यकता है ।
बदलेगा युग बदली युगधारा है । आनेवाला संसार हमारा है ॥
– श्री. रामेश्वर दयाल सक्सेना, भोपाल, मध्य प्रदेश.
स्वेच्छा का त्याग सिखाकर ईश्वरप्राप्ति का मार्ग दिखानेवाला ‘सनातन प्रभात’ – श्री. रघुनंदन सिंह राजपूत, भोपाल, मध्य प्रदेश.
‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम ।
मानव को स्वेच्छा का त्याग सिखाकर ईश्वरप्राप्ति का मार्ग दिखाना, हिन्दुओं में जनजागृति लाना, सनातन धर्म के अस्तित्व की रक्षा करना, हिन्दू राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करना, हिन्दुओं को धर्म ज्ञान, पूजा विधि, संस्कार, संस्कृति आदि का ज्ञान हम सनातन प्रभात के माध्यम बहुत अच्छे से जान पा रहे हैं । सनातन प्रभात एवं सनातन संस्था के ग्रंथों के माध्यम से हम सभी हिन्दुओं को ऐसी जानकारी प्राप्त हो रही है, जो हमें आज तक पता नहीं थी । कोटि-कोटि प्रणाम, कोटि-कोटि धन्यवाद !
– श्री. रघुनंदन सिंह राजपूत (कुन्नू भैया), भोपाल, मध्य प्रदेश.