रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘सनातन प्रभात’ के कार्यालय के चैतन्यमय वास्तु में लगाए गए जानकारी फलक पर अंकित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन !
रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘सनातन प्रभात’ के कार्यालय के चैतन्यमय वास्तु में लगाए गए जानकारी फलक पर अंकित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन !
सभी को धर्मशिक्षा देकर राष्ट्र एवं धर्म के लिए क्रियाशील बनाना तथा उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संगठित करने का ध्येय लेकर ‘सनातन प्रभात’ विगत २३ वर्षाें से कार्य कर रहा है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी सहित सद्गुरुओं एवं संतों का जहां निवास है, ऐसे रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में विगत १५ वर्षाें से भी अधिक समय से ‘सनातन प्रभात’ के नियतकालिकों की सेवा चल रही है । आश्रम में स्थित ‘सनातन प्रभात’ के इस कार्यालय का फरवरी २०१९ में नवीनीकरण किया गया । उसी के साथ सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कृपाशीर्वाद से इस कार्यालय का चैतन्यमय एवं पवित्र वास्तु में रूपांतरण हुआ । इस वास्तु में ‘सनातन प्रभात’ की विशेषताएं एवं अन्य जानकारी से युक्त एक फलक लगाया गया । इस फलक के मध्य भाग में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र है । इस छायाचित्र की विशेषता यह है कि जिस दिन इस वास्तु में यह फलक लगाया गया, उसी दिन इस छायाचित्र में निम्नांकित विशेषतापूर्ण परिवर्तन दिखाई दिए ।
१. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र सजीव प्रतीत होना तथा उसके कारण उस छायाचित्र को किसी भी ओर से देखने पर ‘वह हमारी ओर ही देख रहा है’, ऐसा भान होना
इस फलक पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का लेखन करते हुए छायाचित्र है । यह छायाचित्र चाहे किसी भी ओर से देखें (फलक के सामने से, बाईं ओर से तथा दाहिनी ओर से), तब भी ऐसा प्रतीत होता है कि ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का संपूर्ण शरीर, साथ ही उनके हाथ में स्थित लेखनी तथा लिखने के लिए कागद लगा हुआ पैड हमारी दिशा में घूम रहा है और गुरुदेवजी हमारी ओर ही देख रहे हैं ।’
(छायाचित्र में विद्यमान वायुतत्त्वरूपी चैतन्य का प्रक्षेपण बढने से छायाचित्र अधिक सजीव लगता है । उसमें विद्यमान तेजतत्त्व का प्रक्षेपण बढने से वह और अधिक तेजस्वी दिखाई देता है; परंतु वायुतत्त्व के आधार से वह अधिक सजीव बन जाता है अर्थात ‘गुरुदेवजी प्रत्यक्ष ही वहां हैं’, इतना वह सजीव बन जाता है । – एक विद्वान (श्रीमती अंजली गाडगीळजी ‘एक विद्वान’ के नाम से भी लेखन करती हैं ।) (३.१.२०१२)
२. श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने बताया, ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी स्वयं सूक्ष्म से सब कार्य कर रहे हैं !’
वर्ष २०१९ में यह छायाचित्र देखकर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने कहा, ‘‘फलक पर अंकित छायाचित्र में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी के हाथ में स्थित लेखनी हिल रही है’, ऐसा प्रतीत होता है । इसका अर्थ परात्पर गुरु डॉक्टरजी ‘सनातन प्रभात’ के लिए लेखन कर रहे हैं तथा ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से सूक्ष्म से सब कार्य वे ही कर रहे हैं ।’’ श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी ने कहा, ‘सनातन प्रभात’ के वास्तु में भी शांति की अनुभूति हो रही है ।
३. गुरुदेवजीकी कृपा से ‘सनातन प्रभात’ के वास्तु में ध्यानमंदिर के समान चैतन्य उत्पन्न होना
नवीनीकरण के उपरांत ‘सनातन प्रभात’ के वास्तु के विषय में गुरुदेवजी कहने लगे, ‘‘ध्यानमंदिर में जितना चैतन्य है, उतना ही चैतन्य अब ‘सनातन प्रभात’ के वास्तु में भी उत्पन्न हुआ है ।’’ वास्तव में देखा जाए, तो वास्तु में इस प्रकार चैतन्य उत्पन्न होना भी गुरुदेवजी की ही कृपा है ।
इस वास्तु में ‘सनातन प्रभात’ की सेवा करनेवाले साधक, साथ ही आश्रम में निवास करनेवाले तथा कुछ अवधि के लिए आश्रम में आनेवाले संतों को इस वास्तु में आने पर चैतन्य के स्तर पर अनुभूतियां हो रही हैं ।
‘परात्पर गुरुदेवजी, आपकी कृपा से ही हम सभी साधकों को इस चैतन्यमय वास्तु में ‘सनातन प्रभात’ की सेवा करने तथा उस माध्यम से तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति करने का अवसर मिला है, इसके लिए हम आपके चरणों में अनंत कोटि कृतज्ञ हैं !’
‘हे गुरुदेवजी, आपकी कृपा से हमें प्राप्त इस चैतन्यमय वास्तु में हम सभी साधकों से ‘सनातन प्रभात’ की सेवा एकाग्रता से, परिपूर्ण एवं भावपूर्ण पद्धति से हो तथा उस माध्यम से हमारी आध्यात्मिक उन्नति तीव्र गति से हो; साथ ही आपकी कृपा से वास्तु में उत्पन्न चैतन्य में भी उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे, ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से राष्ट्र एवं धर्मजागृति का व्यापक कार्य होकर शीघ्रातिशीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो’, ऐसी आपके श्रीचरणों में शरणागत भाव से प्रार्थना है !’
– श्री. भूषण केरकर (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत), सह-संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह (११.४.२०२२)