दो तपों की साधना !
सनातन प्रभात आज २४ वें वर्ष में पदार्पण कर रहा है ।
‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से साप्ताहिक ‘सनातन प्रभात’ के रूप में ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का आरंभ हुआ । सनातन प्रभात नियतकालिक की निर्मिति करनेवाले साधक इस भाव से सेवा कर रहे हैं कि ‘नियतकालिक चलाना समष्टि साधना है तथा इसके माध्यम से ईश्वरप्राप्ति करनी है ।’ इस पाक्षिक को देश के अनेक संतों के आशीर्वाद प्राप्त हुए हैं । इसी आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा पाक्षिक आज भी प्रकाशित हो रहा है तथा आगे भी प्रकाशित होता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है । पिछले २ वर्ष के कोरोना काल में कुछ नियतकालिक बंद हुए अथवा उन्हें बडी आर्थिक हानि पहुंची; परंतु इस काल में भी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ चलता रहा ।
ईश्वरीय अधिष्ठान हो, तो कुछ भी संभव हो सकता है, इसका ‘सनातन प्रभात’ एक उदाहरण है । जो लोग भगवान तथा धर्म पर विश्वास नहीं करते अथवा जिन्हें इन बातों पर श्रद्धा नहीं है, उन्हें भी ‘सनातन प्रभात’ की इस यात्रा के विषय में आश्चर्य ही लगता होगा । जिस उद्देश्य से यह पाक्षिक आरंभ किया गया था, उसकी यदि समीक्षा की जाए, तो ‘पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ ने अपना १०० प्रतिशत कार्य पूर्ण किया है’, ऐसा ही कहना पडेगा । ‘हिन्दू-संगठन, राष्ट्ररक्षा एवं धर्मद्रोहियों के विरुद्ध संघर्ष हेतु साधकों द्वारा आर्थिक हानि सहकर चलाया जा रहा एकमात्र पाक्षिक’, इस आदर्श वाक्य से ही इस पाक्षिक के प्रकाशन का उद्देश्य स्पष्ट होता है । आज संपूर्ण देश में हिन्दुत्व की लहर है । आज हिन्दू समाज हिजाब, हलाल, हलाला तथा मस्जिदों पर लगाए गए भोंपू आदि के विरुद्ध प्रखरता से बोल रहा है । आज के समय में अनेक राज्यों में हिन्दुत्व के विचार का समर्थन करनेवाली सरकारें हैं; परंतु जब पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ आरंभ हुआ, तब स्थिति इसके विपरीत थी । उस समय पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ से हिन्दुओं को जागृत करने का कार्य आरंभ किया गया था । विगत २३ वर्षाें में ‘सनातन प्रभात’ ने जो विचार रखे, आज उन्हीं विचारों पर हिन्दू कार्य कर रहे हैं । यह ‘सनातन प्रभात’ की सफलता है । जब-जब भारतीय पत्रकारिता अथवा हिन्दुत्व के आंदोलन का इतिहास लिखा जाएगा, तब-तब उसमें ‘सनातन प्रभात’ का नाम होगा ।
संकटों पर विजय प्राप्त कर चल रहा है कार्य !
‘सनातन प्रभात’ की अभी तक की यात्रा निर्विघ्न नहीं थी । कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ‘सनातन प्रभात’ पर प्रतिबंध की तलवार लटक रही थी; उस स्थिति में भी ‘सनातन प्रभात’ ने हिन्दुत्व, राष्ट्ररक्षा एवं धर्मरक्षा का व्रत नहीं छोडा । ‘सनातन प्रभात’ के विरुद्ध कुछ अभियोग चलाए गए । संपादक को ४ बार बंदी बनाया गया; तब भी ‘सनातन प्रभात’ ने अपने प्रखर एवं स्पष्ट विचार रखना बंद नहीं किया । हिन्दुत्वनिष्ठों की, उनके संगठनों की एवं राजनीतिक दलों की चूकें भी उतनी ही स्पष्टता से बताईं; परंतु जब यह ध्यान में आया कि आधुनिकतावादी एवं धर्मनिरपेक्षतावादी इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं, तब हिन्दू हित के लिए हमें ऐसा करना रोकना पडा; इसके पश्चात भी हमने हमारे विचार नहीं छोडे हैं । पत्रकारिता तो तत्त्वनिष्ठा से ही करनी आवश्यक है; क्योंकि यही पत्रकारिता का धर्म है । भारतीय पत्रकारिता के आदर्श बाल गंगाधर टिळक ने जिस प्रखरता तथा तत्त्वनिष्ठा के साथ ब्रिटिश सरकार पर वैचारिक आघात कर भारतीय जनता में अंग्रेजों के विरुद्ध असंतोष जागृत किया, वही सच्ची पत्रकारिता है तथा ‘सनातन प्रभात’ विगत २३ वर्षाें से उसी पत्रकारिता को आदर्श मानकर अग्रसर है । लोकमान्य टिळक की इस वस्तुनिष्ठ पत्रकारिता के कारण उन्हें ६ वर्षाें तक म्यांमार के कारागार में दंड भोगना पडा था । ‘सनातन प्रभात’ ने भी इन बातों की कभी चिंता नहीं की । सनातन प्रभात की पत्रकारिता के कारण अनेक आंदोलन चलाए गए । पहले फिल्म तथा नाटक आदि के माध्यम से हिन्दुओं के देवी-देवताओं का अनादर किया जाता था; परंतु ‘सनातन प्रभात’ ने जब से इसका प्रखर विरोध करना आरंभ किया, तभी से उसके विरुद्ध अनेक आंदोलन चलाए गए तथा ऐसी सैकडों घटनाओं में अनादर रोकने में हिन्दू सफल रहे । हिन्दूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसैन द्वारा हिन्दुओं के देवताओं के बनाए अश्लील चित्रों के विषय में पहले ‘सनातन प्रभात’ ने ही आवाज उठाई । उसके उपरांत राष्ट्रीय स्तर पर उसके विरुद्ध आंदोलन चलाया गया, जिससे हुसैन को देश छोडकर भागना पडा तथा विदेश में ही उनकी मृत्यु हुई ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रतिबद्ध !
पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ जब मासिक स्वरूप में आरंभ हुआ, तब उसका घोषवाक्य प्रकाशित किया जाता था -‘ईश्वरीय राज्य (हिन्दू राष्ट्र) की स्थापना हेतु’ । ‘सनातन प्रभात’ का यही अंतिम लक्ष्य है ! ‘समाज एवं शासनकर्ता यदि धर्माचरणी हों, तो भारत में ईश्वरीय राज्य आकर रहेगा’, इस उद्देश्य से साधना के विषय में ‘सनातन प्रभात’ अभी तक हिन्दुओं का मार्गदर्शन करता रहा है तथा आगे भी करता रहेगा । साधकवृत्ति के लोगों के लिए सनातन प्रभात’ में साधना से संबंधित जो लेख प्रकाशित किए जाते हैं, वे उनकी साधना हेतु मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं । उसके कारण ही आज हिन्दुत्वनिष्ठ, ‘सनातन प्रभात’ के पाठक, विज्ञापनकर्ता एवं शुभचिंतक साधना कर रहे हैं । उनमें से कुछ लोग अध्यात्मप्रसार भी कर रहे हैं । अन्य किसी लाभ की अपेक्षा ये घटनाएं ‘सनातन प्रभात’ के लिए अमूल्य है । आज के समय में समाज में अनेक समाचारपत्र सक्रिय हैं, जिनमें से अधिकांश समाचार-पत्र व्यवसाय के माध्यम से आर्थिक लाभ अर्जित करने हेतु चलाए जाते हैं । ऐसे समाचार-पत्रों के कारण राष्ट्र, धर्म एवं हिन्दुओं की साधना हेतु कुछ कार्य हो रहा है, ऐसा दिखाई नहीं देता । विगत अनेक दशकों से हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही साधु-संत भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए आंदोलन चला रहे हैं । ‘सनातन प्रभात’ भी विगत २३ वर्षाें से उसके लिए प्रयासरत है । आज स्थिति यह है कि अब हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने की संभावना उत्पन्न हुई है । इसके पीछे ‘काल’ ही कारण है; परंतु जब काल प्रतिकूल था, तब से लेकर ‘सनातन प्रभात’ हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं को जागृत कर रहा है । ‘सनातन प्रभात’ इसका मार्गदर्शन कर रहा है कि हिन्दू किस प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर सकते हैं ? तथा यह हिन्दू राष्ट्र कैसा होगा ? हिन्दू राष्ट्र का संविधान, न्यायप्रणाली, प्रशासन, शिक्षा, विकास आदि के विषय में समय-समय पर ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से लेख प्रकाशित किए जाते हैं । संतों तथा भविष्यवक्ताओं के बताए अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र-स्थापना होगी । तब तक ‘सनातन प्रभात’ उसके लिए मार्गदर्शन करता ही रहेगा; परंतु उससे आगे इसका भी मार्गदर्शन किया जाएगा कि ‘प्रत्यक्ष हिन्दू राष्ट्र में किस प्रकार कार्य करना चाहिए ?’ पहले भारत आध्यात्मिक स्तर पर विश्वगुरु था । अब पुनः उसे यह गौरव प्राप्त करवाने में ‘सनातन प्रभात’ गिलहरी का योगदान दे रहा है । इसमें ‘सनातन प्रभात’ के पाठकों, विज्ञापनदाताओं, अर्पणदाताओं एवं शुभचिंतकों का बडा सहभाग रहा है । अतः इस वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हम उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं !