‘सनातन प्रभात’ की ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ उठाएं !
पाक्षकि ‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ निमित्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का संदेश
‘सनातन प्रभात’ ने प्रारंभ से ही आदर्श राष्ट्ररचना के लिए अराजकीय विचार, राष्ट्र-धर्म हित के दृष्टिकोण और ज्वलंत हिन्दुत्व की भूमिका के माध्यम से वैचारिक क्रांति का संदेश दिया है । अनेकों ने ‘सनातन प्रभात’ के वैचारिक संदेश पर आचरण कर राष्ट्र-धर्म रक्षा का कार्य भी किया है । ज्ञानशक्ति के कारण क्रियाशक्ति जागृत होती है, यह ‘सनातन प्रभात’ की ज्ञानशक्ति ने सिद्ध कर दिखाया है ।
‘सनातन प्रभात’ का स्वरूप वैचारिक होने के साथ ही आध्यात्मिक दृष्टि देनेवाला भी है । ‘सनातन प्रभात’ में प्रकाशित होनेवाले संतों एवं साधकों के अनुभव तथा अनुभूतियों से संबंधित लेख साधना के प्रायोगिक अंगों का मार्गदर्शन करते हैं । संसार के किसी भी नियतकालिक में अध्यात्म सिखानेवाला ऐसा लेखन उपलब्ध नहीं होगा । ‘सनातन प्रभात’ में प्रकाशित ‘साधना’ एवं ‘अध्यात्म’ के लेखों का नियमित वाचन करने से पाठकों में निश्चित ही आध्यात्मिक दृष्टि और साधकत्व उत्पन्न होगा ।
इसलिए ‘सनातन प्रभात’ की ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ उठाएं एवं हिन्दू राष्ट्र के कार्य का एक अंग बनने सहित यह जन्म सार्थक करने के लिए उत्तम साधक बनने की प्रक्रिया आरंभ करें !’
– (सच्चिदानंद परब्रह्म) डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, संस्थापक-संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह.