विश्व को जब ‘लैंगिक समानता’ ज्ञात नहीं थी, तब भारत में गार्गी, मैत्रेयी, अत्रेयी जैसी विदुषी शास्त्रार्थ करती थीं !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का प्रतिपादन !
राजकोट (गुजरात) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने प्रतिपादन किया है कि जिस समय विश्व में ‘लैंगिक समानता’ शब्द का उदय भी नहीं हुआ था, तब हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अत्रेयी जैसी विदुषी शास्त्रार्थ करती थीं । वे यहां के ‘श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान’ के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में ऑनलाईन बोल रहे थे ।
When the world didn't even realise what gender equality was, our civilization had women thinkers like Gargi, Maitreyi and Atreyi: PM @narendramodi at Shree Swaminarayan Gurukul Rajkot Sansthan pic.twitter.com/HVURnaobsq
— Prasar Bharati News Services & Digital Platform (@PBNS_India) December 24, 2022
प्रधानमंत्री मोदीजी ने आगे कहा कि हमने शून्य से अनंत तक प्रत्येक क्षेत्र में शोध कर निष्कर्ष दिए है । जिस समय विश्व के राजपरिवारों से देशों को पहचाना जाता था, तब भारतभूमि को गुरुकुल के कारण पहचाना जाता था । गुरुकुल अर्थात गुरुदेव का कुल ! नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय हमारी गुरुकुल परंपरा के वैश्विक धरोहर थे । आधुनिक भारत में इस प्राचीन परंपरा की वृद्धि करने के लिए स्वामीनारायण गुरुकुल ‘कन्या गुरुकुल’ की स्थापना कर रहा है । विगत ७५ वर्षों में इस गुरुकुल ने छात्रों में अच्छे विचारों का बीजारोपण किया है । जिनसे उनका समग्र विकास होगा ।