आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आर-पार की लडाई !
‘भारत देश स्वतंत्रता मिलने से लेकर विगत ७५ वर्षाें से आतंकवाद का सामना कर रहा है । इस आतंकवाद के कारण प्राणों तथा राष्ट्रीय संपत्ति की अपार हानि हो रही है । आतंकवाद के कारण देश का संपूर्ण वातावरण भी दूषित हो गया है । अनेक भारतीयों को ही आतंकवाद के कारण हो रही हानि की अपेक्षा आतंकवादियों के प्रति ही अधिक प्रेम है । आतंकवाद के समर्थक, ‘देश के सभी आतंकवादियों को एक ही तराजू में तोलिए’, ऐसा कभी भी नहीं कहते; परंतु ‘जिन लोगों के कारण देश को हानि पहुंचती है तथा समाज का वातावरण दूषित होता है, उन्हें संरक्षण देने में कौन सा राष्ट्र्रहित है ?’, इस पर विचार करने के लिए भी तैयार नहीं होते ।
१. अमानवीयता एवं आसुरी प्रवृत्ति को कुचलना अहिंसा ही है !
वैचारिक मतभेद हो सकते हैं । कोई तत्त्वज्ञान यदि हमें स्वीकार न हो, तो उस तत्त्वज्ञान के समर्थक हमारे शत्रु नहीं होते । कोई भी तत्त्वज्ञान सत्य, नैतिकता एवं न्याय के आधार पर खडा होता है । सत्य, नैतिकता एवं न्याय को छोडकर रखे जानेवाले विचार तत्त्वज्ञान नहीं हैं । आतंकवाद को संरक्षण देनेवाले लोगों का तत्त्वज्ञान सत्य, नैतिकता एवं न्याय को भूमि में दबाकर (दफनाकर) उत्पन्न हुआ है । अमानवीयता एवं आसुरी प्रवृत्ति के प्रति करुणा नहीं दिखाई जा सकती । ऐसी प्रवृत्तियों के साथ क्षमाशीलता के साथ व्यवहार नहीं किया जा सकता; क्योंकि सत्य, नैतिकता एवं न्याय से आसुरी प्रवृत्ति का संबंध नहीं होता । आतंकवाद आसुरी प्रवृत्ति है । वह सामान्य लोगों को सुख तथा शांति से जीने नहीं देती । ऐसी आसुरी वृत्ति को कुचल देना ही न्याय एवं अहिंसा है ।
२. आधुनिकतावादियों एवं तथाकथित विचारकों द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने से भारत में विभिन्न माध्यमों से फैला आतंकवाद !
आतंकियों की क्रूरता को संरक्षण देकर उनका महिमामंडन करना तथा आतंकवाद का निर्मूलन करनेवालों को अपराधी प्रमाणित करने को ‘विद्वता’ नहीं कहते । आज तक आतंकियों ने रक्त की नदियां बहाईं, संसद पर आक्रमण किए, मुंबई में १८५७ का स्मारक ध्वस्त किया एवं अब उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए हलाल प्रमाणपत्र के माध्यम से समानांतर अर्थव्यवस्था स्थापित की है । उनकी दुष्टता एवं क्रूरता का कोई अंत नहीं ! हमारे पहले के राजकर्ताओं ने ऐसी आसुरी प्रवृत्ति का पोषण करने की नीति अपनाई । उसके कारण ही वक्फ बोर्ड ने अवैध पद्धति से देश की भूमि हडप ली । इसी संस्था ने तमिलनाडु का एक संपूर्ण गांव ही अपने नाम पर कर लिया । सुन्नी वक्फ बोर्ड ने गुजरात के द्वारका टापू पर भी अपना अधिकार स्थापित किया । तथाकथित विचारों का समूह जब ऐसी प्रवृत्ति के साथ खडा रहता है, तब देश की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता को चुनौती देने जैसा कृत्य होता है । ‘यह बात देश के तथाकथित विचारकों के ध्यान में नहीं आती’, ऐसा नहीं कहा जा सकता ।
चीन एवं पाकिस्तान भारत के शत्रु हैं । उन्होंने जानबूझकर ही भारत में आतंकवाद स्थापित किया । उन्होंने हमारे ही देश के लोगों को बहुत पैसे दिए तथा उन्हें शस्त्रों की आपूर्ति की । इन आतंकवादी गतिविधियों के लिए देश की संप्रभुता एवं स्वतंत्रता को संकट उत्पन्न हो गया है । भारत की बडी समस्या है घुसपैठ ! अब इस आतंकवाद ने संपूर्ण विश्व को त्रस्त कर दिया है ।
३. वैश्विक आतंकवाद को मिटाने के लिए भारत के द्वारा ली गई प्रधानता !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चय किया है, ‘विश्व में आतंकवाद को संपूर्णरूप से नष्ट किए बिना हम शांति से नहीं बैठेंगे ।’ इसके लिए भारत ने प्रधानता ली है । आतंकियों को पैसों की आपूर्ति न हो; इसके लिए सरकार विगत ४ वर्षाें से निरंतर प्रयास कर रही है । वर्ष २०१८ में ‘नो मनी फॉर टेरर’ (आतंकवाद के लिए धन की सहायता नहीं) के विषय पर फ्रांस में परिषद संपन्न हुई थी । उस समय ‘इस्लामिक स्टेट’ एवं ‘अल् कायदा’ जैसे विश्व स्तर के आतंकी संगठनों पर ध्यान केंद्रित किया गया । उसके उपरांत नवंबर २०१९ में ऑस्ट्रेलिया में यह परिषद आयोजित की गई । कोविड महामारी के समय २ वर्षाें तक एक भी बैठक नहीं हो सकी थी । उसके उपरांत १८ एवं १९ नवंबर २०२२ को देहली में तीसरी परिषद संपन्न हुई ।
आतंकवाद को संपूर्ण रूप से मिटाने के लिए वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ‘नो मनी फॉर टेरर सेक्रेटरिएट’ का (आतंकवाद के लिए आर्थिक सहायता न करने के लिए एक मंत्रालय का) गठन करने का प्रस्ताव रखा । इस्लामी एवं खालिस्तानी आतंकवाद, ईशान्य भारत में होनेवाले घुसपैठ एवं विभाजनवादियों से लडने का भारत को जितना अनुभव है, उतना अन्य किसी देश को नहीं है । हमारे देश में ‘फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स’ के माध्यम से आतंकियों को मिलनेवाले पैसों पर सूक्ष्म दृष्टि रखी जाती है ।
४. विश्व से आतंकवाद समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ७२ देशों का संगठित होना
आज के समय में विश्व में आतंकवाद बढ रहा है । उसका कारण यह है कि चीन एवं पाकिस्तान जैसे कुछ देश अपनी रणनीति के रूप में आतंकवाद का उपयोग करते हैं । आतंकी संगठनों को बाहरी देशों से धन एवं शस्त्रों की निरंतर आपूर्ति होती है । शस्त्रों की खरीद, आतंकियों को प्रशिक्षण देना, साथ ही विभिन्न स्थानों पर जाकार आतंकी कृत्य करने के लिए आतंकियों को धन की आवश्यकता होती है । जिस देश में आतंकी शरण लेते हैं, उसी देश से उन्हें धन की आपूर्ति होती है । बाहरी देशों में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों, धर्मादाय संस्थाओं जैसे संगठनों तथा मादक पदार्थाें की तस्करी से भी आतंकियों को धन की आपूर्ति की जाती है । ‘क्रिप्टोकरंसी’ (छद्म मुद्रा) के माध्यम से भी धन की आपूर्ति होती है । यह धन एवं शस्त्र आतंकियों तक न पहुंचे; इस पर उपाय करने के लिए ७२ देश एकत्रित हुए हैं । अन्य १५ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी आतंकवाद का समूल निर्मूलन करने के लिए इसमें भाग लिया है ।
मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए देश में शांति एवं व्यवस्था की अत्यंत आवश्यता होती है । आतंकवाद के कारण शांति एवं व्यवस्था संकट में आ जाती है । इसके फलस्वरूप सामान्य मनुष्य को तनावपूर्ण वातावरण में जीना पडता है, इसे ध्यान में लेकर आतंकवाद को समूल नष्ट करने की दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व के ७२ देश आतंकवाद का निर्मूलन करने के लिए संगठित हुए हैं । सुसंस्कृत एवं भद्रतापूर्ण समाज की निर्मिति के लिए उठाया गया यह कदम निश्चित ही स्वागत योग्य है ।’
– श्री. दुर्गेश जयवंत परुळकर, हिन्दुत्वनिष्ठ व्याख्याता एवं लेखक, डोंबिवली, मुंबई (२२.११.२०२२)