सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) का देहत्याग
रामनाथी (गोवा) – विनम्रता, निरपेक्ष प्रीति जैसे अनेक दैवी गुणों से युक्त एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अनन्य भाव रखनेवाले, रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम निवासी सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) ने ३० अक्टूबर २०२२ को दोपहर ४.२७ बजे लंबी बीमारी के चलते देहत्याग किया । उनके पीछे २ बेटे एवं १ बेटी है । उनकी बेटी कु. दीपाली होनप एवं छोटा बेटा श्री. राम होनप रामनाथी के सनातन आश्रम में पूर्णकालीन साधना करते हैं । बडा बेटा श्री. सुरेंद्र होनप भी नासिक में साधनारत है । पू. होनपजी की पत्नी पू. (स्व.) श्रीमती निर्मला होनपजी सनातन की २९ वीं संत हैं ।
बीमार होते हुए भी उत्साही रहना
मैं उनसे पूछती थी, ‘‘क्या हम घूमने चलेंगे ?’’ उस समय बहुत थकावट होते हुए भी वे घूमने जाने के लिए तैयार हो जाते थे । पहले वे स्वयं अकेले ही अटारी तक जाकर घूमकर आते थे । पिछले माह में थकावट बढने से पैदल चलते हुए उनका संतुलन नहीं रह पा रहा था; इसलिए मैं उनका हाथ पकडकर उन्हें घूमने ले जाती थी ।
पू. पद्माकर होनपजी द्वारा स्वयं के देहत्याग के विषय में दिए गए संकेत
१. ‘२६.१०.२०२२ को पू. पिताजी पू. जयराम जोशीजी (सनातन के ५१वें संत) से मिलने के लिए उनके कक्ष में गए थे । पू. जोशीजी की बहू श्रीमती भाग्यश्री योगेश जोशी ने पू. पिताजी से पूछा, ‘‘आपको इतना कष्ट होते हुए भी आप इतने आनंदित कैसे
रहते हैं ?’’ पू. पिताजी ने कहा, ‘‘यह वापसी का आनंद है !’’
– सुश्री (कु.) दीपाली होनप ((स्व.) पू. पद्माकर होनपजी की बेटी), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (५.११.२०२२)
‘पू. होनपजी के हाथ से आनंद एवं चरण से शक्ति का प्रक्षेपण हो रहा है’, ऐसा अनुभव होना
पू. होनपजी के देहत्याग के उपरांत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने उनका दाहिना हाथ एवं दाहिने पदचिन्हों प्रयोग करने का संदेश भेजा । प्रयोग करते समय दोनों पदचिन्हों की ओर देखकर मुझे अनुभव हुआ कि ‘हाथ से आनंद एवं चरण से शक्ति का बडी मात्रा में प्रक्षेपण हो रहा है ।’ – श्री. रामानंद परब (आध्यात्मिक स्तर ६८ प्रतिशत), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (३१.१०.२०२२)
कृतज्ञता : पिताजी के देहत्याग के उपरांत मेरे मन में कुछ भी विचार नहीं थे । ‘इस कठिन प्रसंग में मै स्थिर रह पाया’, इस विषय में मै परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त करता हूं ।’ – श्री. सुरेंद्र होनप, नाशिक (४.११.२०२२)