‘नॉन स्टिक’ बर्तनों के कारण हो सकता है कर्करोग !- संशोधन का निष्कर्ष
नई देहली – तेल का अल्प प्रमाण में प्रयोग होने हेतु लोग ‘नॉन स्टिक’ बर्तनों का प्रयोग करते है; परंतु इस बर्तन में जो आवरण होता है, उससे भारी मात्रा में स्वास्थ्य की हानि होती है । इन बर्तनों के प्रयोग से कर्करोग होने की संभावना प्रबल होती है, शोध में ऐसा सामने आया है । आस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स तथा न्यू कैसल विश्वविद्यालय के शोध में यह जानकारी सामने आई है ।
१. बर्तन के आवरण के लिए ‘पोलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन’ (पीटीएफई) का उपयोग किया जाता है । इसलिए तेल बर्तन से नहीं चिपकता । इसे ‘टेफ्लॉन’ भी कहते हैं, जो ‘पेरफ्लओरूक्टेनोयक एसिड’ (पीएफओए) द्वारा बनाया जाता है । यह एक प्रकार का रसायन है । इस पर वर्ष २०१३ में प्रतिबंध लगाया गया है । इसीलिए ‘नॉन स्टिक’ बर्तन पर ‘पीएफओए रसायान का उपयोग नहीं किया गया है’, ऐसी जानकारी दी जाती है । यद्यपि ऐसा है, तब भी अन्य रसायनों का प्रयोग किया होता है । उसका स्वास्थ्य पर परिणाम होता है ।
२. इन बर्तनों में भोजन बनाए जाने पर उस पर स्थित रासायनिक आवरण से सहस्रों कण निकल कर अन्न में मिल जाते हैं । इसके साथ इस बर्तन को यदि छोटी सी भी दरार होने से, उससे ९ सहस्र १०० प्लास्टिक कण बाहर निकलते हैं । इस बर्तन का आवरण धीरे-धीरे निकलने लगता है । इसलिए सहस्रों प्लास्टिक कण बाहर निकल कर वे अन्न में मिल जाते हैं । इसमें बडी आंच पर अन्न पकाने पर भी आवरण निकलने तथा धुआं भी निकलने लगता है । इसलिए अन्न को विषैला बनाता है ।
३. इन बर्तनों में सॉस, सूप, मटन, खीर अथवा धीमी आंच पर बनाए जानेवाले पदार्थ नहीं पकाने चाहिए । इसमें अमलेट, तली मछलियां तथा नूडल्स समान शीघ्र पकनेवाले पदार्थ बनाना संभव होता है ।
आगे दी हुई हानि होने की संभावना है !
१. ‘अमेरिकन कैन्सर सोसाइटी’ के अनुसार, ‘नान स्टिक’ बर्तनों के प्रयोग से कर्करोग होने की संभावना अधिक है ।
२. मूत्रपिंड के संदर्भ मेंं बीमारी होने की संभावना होती है ।
३. थाइराईड हो सकता है ।
४. प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो सकती है ।
५. ‘आयरन’ की कमी उत्पन्न हो सकती है । इसलिए ‘एनिमिया’ समान बीमारी हो सकती है ।
६. ‘काग्निटिव डिसॉर्डर’, अर्थात मस्तिष्क से संबंधित बीमारी हो सकती है ।
‘नान स्टिक’ बर्तनों का प्रयोग करते समय ध्यान में रखने के सूत्र
१. यह बर्तन प्रयोग करने से पूर्व उसमें प्रथम गरम पानी डाल कर अच्छी तरह से उन्हें धो लें ।
२. इन बर्तनों में कभी धीमी आंच पर भोजन न पकाएं ।
३. भोजन बनाने से पूर्व ये बर्तन गरम न करें ।
४. बर्तन धोने के लिए प्लास्टिक अथवा नरम स्पंज का प्रयोग करें ।
६. ये बर्तन घिसते समय उन्हें अधिक मात्रा में न घिसें ।
७. इन बर्तनों का आवरण निकलने लगे, तो उनका प्रयोग न करें; क्याेंकि इनमें व्याप्त क्षति पहुंचनेवाले रासायनिक भाग भोजन में मिल कर स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होते हैं ।