अध्यात्म एवं संपूर्ण भारत वैज्ञानिकता से ओतप्रोत – प्रा. कपिलदेव मिश्र, कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का प्रवेश उत्सव !
जबलपुर (मध्य प्रदेश) – ‘‘युवा पीढी वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित बात को ही स्वीकार कर रही है । वैसे तो हमारा अध्यात्म और संपूर्ण भारत वैज्ञानिकता से ओतप्रोत है । हम यह चाहते हैं कि शिक्षा के साथ छात्रों में मूल्यों का भी विकास हो इसलिए हर विभाग में इस प्रकार के उद्बोधन का आयोजन किया जाए । पत्थर ही होता है; परंतु यदि वह होनेवाले घाव सहन कर ले, तो उसकी मूर्ति बनती है और न सहन करते हुए टूट जाएं, तो ऐसे टूटे पत्थर सीढियों में भी लगाए जाते हैं । इसलिए जीवन के विपरीत परिस्थितियों में न टूटते हुए आगे बने रहने का संकल्प विद्यार्थियों को करना चाहिए’’, ऐसा प्रतिपादन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रा. कपिलदेव मिश्र ने किया । वे नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित प्रवेश उत्सव’ को संबोधित कर रहे थे । सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ । इस कार्यक्रम में छात्रों को विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों का परिचय करवाया गया ।
हमारी संस्कृति की वैज्ञानिकता को समझें
और उसे जीवन में उतारें – आनंद जाखोटिया
इस कार्यक्रम में ‘भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता’ विषय पर हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने छात्र–छात्राओं का उद्बोधन किया । इस समय उन्होंने बताया कि ‘‘पश्चिमी संस्कृति विश्व को व्यापार समझती है और भारत विश्व को परिवार समझता है । ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का व्यापक विचार हमारे संस्कृत और संस्कृति की देन है । जब हम ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ कहकर दीप-प्रज्वलन करते हैं, अंधेरे को नष्ट कर प्रकाश की ओर जाने का संदेश हमारी संस्कृति देती है । ऐसे में मोमबत्ती बुझाकर जन्मदिन मनाना, यह कौन सी वैज्ञानिकता है ? क्यों हम पश्चिमी अंधानुकरण से लिप्त होकर अपनी उज्जवल संस्कृति की ओर अनदेखी कर रहे हैं ? आज पूरा विश्व शांति के लिए हमारी संस्कृति का अध्ययन कर रहा है । ऐसे में आवश्यकता है कि हम उसकी वैज्ञानिकता को समझ लें और उस जीवन में उतारें ।’’