हिन्दू राष्ट्र की अपरिहार्यता समझें !
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
एक कपाटिका में (अलमारी में) कितना सामान रह सकता है, इसका विचार सामान्य व्यक्ति करता है ; परंतु देश में कितने करोड व्यक्ति सुख से रह सकते हैं, उन्हें पर्याप्त अन्न-जल मिल सकता है, इसका विचार न करने वाली अभी तक की सरकारों के कारण देश की जनसंख्या जो स्वतंत्रता के समय ३५ करोड थी, वह अब १३५ करोड से भी अधिक हो गई है । इस स्थिति को सुधारने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र ही पर्याय है ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले