हिन्दू जनजागृति समिति की यशोगाथा
२६ सितंबर २०२२ को हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना को २० वर्ष पूर्ण हुए । उसके उपलक्ष्य में…
हिन्दू जनता के हित के लिए कार्य करनेवाली, साथ ही समाजमानस में हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता अंकित करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना को २० वर्ष पूर्ण हुए । २० वर्ष पूर्व अर्थात ७ अक्टूबर २००२ को अर्थात आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात नवरात्रि के घटस्थापना के मंगल दिवस पर हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई । समिति धर्मजागृति, धर्मशिक्षा, हिन्दू-संगठन, धर्मरक्षा एवं राष्ट्ररक्षा, इन ध्येयों की पूर्ति के लिए अविरत कार्य कर रही है । इस दृष्टि से विगत २० वर्षाें की समिति के कार्य की सफलता यहां रख रहा हूं । १६ से ३१ अक्टूबर के पाक्षिक में हमने ‘हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से धर्मरक्षा एवं धर्मजागृति के लिए चलाए गए उपक्रमों और उन्हें प्राप्त सफलता’ की जानकारी देखी । इस अंक में हम समिति के अन्य कार्य की जानकारी दे रहे हैं ।
भाग १ देखने हेतु यहां क्लिक करें – https://sanatanprabhat.org/hindi/60495.html
३. हिन्दू-संगठन
३ अ. हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं : हिन्दुओं का जाति-दल-संप्रदाय रहित एक विशाल संगठन खडा रहे; इसके लिए समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर महानगरों तक १ सहस्र ३०० से अधिक ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं’ लीं । ये सभाएं राजनीतिक दलों की भांति प्रलोभन देनेवाली नहीं थीं, अपितु हिन्दुओं को धर्म एवं राष्ट्ररक्षा के लिए त्याग करने के लिए प्रेरित करनेवाली थीं । इन सभाओं के फलस्वरूप सहस्रों युवक धर्मकार्य से जुड गए हैं । इन सभाओं से क्रियाशील बननेवाली सैकडों धर्मप्रेमी आज समिति की ओर से प्रतिसप्ताह लिए जानेवाले धर्मशिक्षावर्गाें में उपस्थित रहकर ‘धर्म क्या बताता है ?’, यह समझ ले रहे हैं । आज ११ राज्यों में ३२५ से अधिक स्थानों पर धर्मशिक्षावर्ग लिए जाते हैं ।
३ आ. अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन : गोवा में आयोजित किए जानेवाले ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों’ के माध्यम से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का संगठन करने का कार्य समिति कर रही है । संपूर्ण देश के लगभग २५० से अधिक संगठनों के नेता, कार्यकर्ता तथा अधिवक्ता इस अधिवेशन के माध्यम से धर्मकार्य की दिशा प्राप्त कर कालबद्ध प्रयास कर रहे हैं । यह अधिवेशन तो हिन्दू राष्ट्र की आवाज बुलंद करनेवाला एक व्यासपीठ बन चुका है ।
४. हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष
जिस समय में जहां ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द का उच्चारण करना भी साहसिक था, ऐसे समय में विरोधियों की चिंता किए बिना समिति ने हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष किया । व्याख्यानों, सम्मेलनों, विचारगोष्ठियों, ग्रंथों आदि के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की चर्चा हो रही है । ‘हिन्दू राष्ट्र पे चर्चा’ कराने में समिति का योगदान है, इसका हमें संतोष है । अब धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हमें समर्पित होकर प्रयास करने हैं ।
५. राष्ट्ररक्षा
५ अ. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों पर प्रतिबंध : राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान रखे जाने की दृष्टि से समिति ने ‘राष्ट्रध्वज का अनादर रोकिए’, यह उपक्रम बडे स्तर पर चलाया । राष्ट्रीय त्योहारों के दिन राष्ट्रध्वज सडक पर गिरे पडे दिखाई देती हैं और उससे उनका अनादर होता है । ऐसा न हो; इसके लिए वर्ष २०११ में प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया, जो समिति द्वारा प्रविष्ट याचिका के कारण ही लगाया गया था । इसके अतिरिक्त समिति ने भारत के मानचित्र के विकृतिकरण के विरुद्ध भी आंदोलन चलाकर संबंधित लोगों को भारत का उचित मानचित्र छापने के लिए बाध्य किया ।
५ आ. फैक्ट प्रदर्शनी : आज सर्वत्र ही ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की चर्चा हो रही हो; परंतु तब भी कश्मीरी हिन्दुओं का आक्रोश और पीडा सर्वत्र के हिन्दुओं तक पहुंचे; इसके लिए समिति ने वर्ष २००७ से ‘फैक्ट’ प्रदर्शनियों के माध्यम से जागृति लाना आरंभ किया था । समिति ने कश्मीरी हिन्दुओं के समर्थन में संपूर्ण देश में ‘एक भारत अभियान’ चलाया । कुछ वर्ष पूर्व कश्मीर को शेष भारत से अलग करनेवाला अनुच्छेद ३७० रद्द हुआ, उसमें इस जनजागरण का भी योगदान है, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता ।
६. मानबिंदुओं की रक्षा
६ अ. इतिहास का विकृतीकरण रोकना : स्वतंत्रता के उपरांत के काल में वास्तव में देखा जाए, तो गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलकर हिन्दुओं को शौर्य का इतिहास सिखाया जाना अपेक्षित था; परंतु क्रमिक पुस्तकों में विदेशी आक्रांताओं का इतिहास अधिक, तो हिन्दू वीरों का इतिहास बहुत ही संक्षेप में सिखाया जा रहा था । गोवा में ‘एन.सी.ई.आर.टी.’ के पाठ्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास केवल ५ पंक्तियों में सिखाया जा रहा था । इस विषय में समिति के द्वारा आंदोलन चलाए जाने के उपरांत आज के समय में विद्यालयों में छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास ५ पृष्ठों में सिखाया जा रहा है ।
६ आ. गढ-किलों तथा ऐतिहासिक स्मारकों का जतन : ईश्वर की कृपा से गढ-किलों पर किए गए इस्लामी अतिक्रमणों को हटाने के तथा गढ-किलों की पवित्रता बनाए रखने के समिति के अभियानों को भी सफलता मिली । महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित विशालगढ किले पर किए गए अतिक्रमणों को हटाने के लिए जिलाधिकारी के साथ बैठकें हुई हैं तथा इस प्रकरण की प्रशासनिक जांच भी चल रही है, साथ ही समिति के आंदोलन के कारण सिंहगढ किले के नवीनीकरण का निकृष्ट गुणवत्ता का काम करनेवाले ठेकेदारों को सरकार ने काली सूची में डाल दिया । इसी प्रकार से जळगांव जिले का ‘पांडववाडा’ हिन्दुओं के लिए खुला करने में भी समिति को सफलता मिली । पुर्तगालियों के द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों का साक्षी गोवा के ऐतिहासिक ‘हातकातरो खांब (स्तंभ)’ का उसके मूल स्थान से स्थानांतरण होने न देने में भी समिति को सफलता मिली ।
७. संस्कृतिरक्षा
७ अ. ‘सनबर्न’ को विरोध : ‘सनबर्न’ जैसे विकृतिपूर्ण कार्यक्रमों के विरुद्ध समिति ने वर्ष २०१४ से बडे स्तर पर जनआंदोलन खडा किया । नृत्य-गानों की आड में ‘सनबर्न’ में मादक पदार्थाें के सेवन को प्रोत्साहन दिया जा रहा था । समिति के आंदोलन के कारण पुणे एवं गोवा से ‘सनबर्न’ के आयोजकों को अपना बोरियाबिस्तर बांधना पडा, साथ ही नियमों का उल्लंघन करने के कारण उन्हें बडा आर्थिक दंड भी झेलना पडा ।
७ आ. ‘डे’ पद्धति का विरोध : इसके साथ ही ईसाई नववर्ष १ जनवरी तथा वैलेंटाइन डे जैसे त्योहारों का भी समिति ने शास्त्रीय पद्धति से विरोध कर जनउद्बोधन किया । त्योहारों-उत्सवों में अंतर्भूत अनिष्ट घटनाएं दूर होकर उन्हें भक्तिभाव तथा शास्त्रीय पद्धति से मनाया जाए; इसके लिए समिति ने उद्बोधन अभियान चलाया । उसके फलस्वरूप आज के समय में युवकों में सांस्कृतिक अभिमान बढकर समाज में धर्मशास्त्र के अनुसार त्योहार-उत्सव मनाने का स्तर बढ रहा है ।
७ इ. कागद (कागज) की लुगदी की गणेशमूर्तियों को प्रोत्साहन देने के शासननिर्णय पर रोक : कुछ वर्ष पूर्व अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के दबाव में आकर सरकार ने गणेशोत्सव की अवधि में कागद की लुगदी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियों को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया । वास्तव में खडिया मिट्टी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति की प्रतिष्ठापना करना तथा उसका बहते पानी में विसर्जन करना हमारी मूल परंपरा है; परंतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नाम पर हिन्दुओं के धर्माचरण पर आंच आए; इसके लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंनिस) प्रयासरत थी । उस समय समिति ने इस संदर्भ में गहरा अध्ययन कर वैज्ञानिक प्रयोगशाला में इसका अध्ययन किया तथा शोध के उपरांत ‘कागद की लुगदी की श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन के कारण जलप्रदूषण होता है’, यह प्रमाणित हुआ । इसके फलस्वरूप कागद की लुगदी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्तियों को प्रोत्साहन देनेवाले शासननिर्णय पर रोक लगाई गई और इसके द्वारा समिति ने अंनिस का पाखंड उजागर किया ।
८. समाजसहायता
सामाजिक दृष्टिकोण से भी समिति विभिन्न उपक्रम चलाती है ।
८ अ. खडकवासला जलाशय रक्षण अभियान : रंगपंचमी एवं धुलैंडी के दिन रंग से भरे युवक पुणे में स्थित खडकवासला बांध में स्नान करने आते थे । रासायनिक रंगों के कारण जलाशय का बडे स्तर पर प्रदूषण होता था । उसे रोकने के लिए समिति के अनेक कार्यकर्ता प्रतिवर्ष खडकवासला जलाशय के चारों ओर मानवीय घेरा बनाने लगे । इस प्रकार से प्रतिवर्ष चलाए जा रहे उपक्रम के कारण विगत २० वर्षाें से ‘खडकवासला जलायश रक्षा अभियान’ १०० प्रतिशत सफल हो रहा है । समिति बाढ, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के समय आपदाग्रस्त लोगों की सहायता करने के अभियान चलाती है ।
८ आ. सुराज्य अभियान : हिन्दू राष्ट्र अर्थात सुराज्य निर्मिति की दृष्टि से ‘सुराज्य अभियान’, साथ ही ‘आरोग्य साहाय्य समिति’ जैसे उपक्रमों के माध्यम से भी समिति क्रियाशील है । सुराज्य अभियान के अंतर्गत पेट्रोल में की जानेवाली मिलावट के विरुद्ध अभियान छेडा गया । धर्मादाय चिकित्सालयों की ओर से गरीबी के स्तर के नीचे के रोगियों के साथ हो रही आर्थिक धोखाधडी के विरुद्ध समिति ने आवाज उठाई । इसके कारण नियमों का उल्लंघन करनेवाले चिकित्सालयों पर कार्यवाही हुई । स्वास्थ्य के क्षेत्र में होनेवाले भ्रष्टाचार के विरुद्ध भी समिति ने अनेक आंदोलन चलाए ।
८ इ. स्वरक्षा प्रशिक्षण उपक्रम : युवकों में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक सामर्थ्य बढाने की दृष्टि से समिति की ओर से बडे स्तर पर स्वरक्षा प्रशिक्षण उपक्रम चलाया जा रहा है । महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समिति की रणरागिनी शाखा क्रियाशील है ।
९. ‘ऑनलाइन’ उपक्रम
भगवान की कृपा से कोरोना काल में भी समिति का धर्मकार्य खंडित नहीं हुआ । वर्ष २०२० में ‘लॉकडाउन’ के अर्थात यातायात बंदी के काल में जब बाहर निकलकर कार्य करने पर सीमा आई, तब समिति के ‘ऑनलाइन’ धर्मप्रसार ने जोर पकड लिया । ‘ऑनलाइन’ पद्धति से कैसे कार्यक्रम किए जाते हैं ? तथा धर्मप्रसार कैसे करना चाहिए ? इसका किसी प्रकार का प्रशिक्षण तथा अनुभव न होते हुए भी अल्पावधि में ही समिति का कार्य ऑनलाइन पद्धति से गति से होने लगा । ऑनलाइन सत्संग शृंखला के अंतर्गत चलाए जा रहे ४ कार्यक्रम तथा ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ ये विशेष संवादरूपी कार्यक्रम आज भी चल रहे हैं । आज के समय में जालस्थलों, यू-ट्यूब, ट्विटर आदि माध्यम से समिति का धर्मप्रसार का कार्य विहंगम गति से जारी है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के ‘HinduJagruti.org’ इस जालस्थल की पाठकसंख्या प्रतिमाह १.२५ लाख है, साथ ही समिति के ‘यू-ट्यूब चैनेल’ की दर्शकसंख्या १ लाख १० सहस्र, तो समिति के ट्विटर हैंडल की सदस्यसंख्या ५८ सहस्र है । इससे देश-विदेशों में समिति का कार्य तीव्रगति से बढ रहा है, यही दिखाई देता है । समिति के ‘यू-ट्यूब’ चैनल की सदस्यसंख्या १ लाख होने पर ‘यू-ट्यूब’ ने समिति को ‘सिल्वर ट्रॉफी’ से सम्मानित किया ।
९ अ. सामाजिक माध्यम (सोशल मीडिया) : समिति ने सामाजिक माध्यमों के द्वारा (सोशल मीडिया के द्वारा) आरंभित धर्मरक्षा के अभियानों को मिली सफलता निम्न प्रकार से है –
९ अ १. कश्मीर के समर्थन में किया गया ट्वीट वापस लेना : कश्मीर को भारत से तोडने के लिए पाकिस्तान में ५ फरवरी को ‘कश्मीरी एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । इसे समर्थन देने के लिए ‘पिज्जा हट’, ‘ह्युंदाई मोटर्स’, ‘के.एफ.सी. फूडस्’, ‘किया मोटर्स’, इन प्रतिष्ठानों ने उनके आधिकारिक ट्विटर खातों से ‘ट्वीट’ कर पाकिस्तान का समर्थन किया । समिति ने इसके विरुद्ध ट्विटर पर बडे स्तर पर जनजागृति की । लोगों के बढते क्षोभ को देखते हुए ‘ह्युंदाई मोटर्स’ एवं ‘के.एफ.सी. फूड्स’, इन प्रतिष्ठानों ने इस विषय में क्षमा मांगकर किया गया ट्वीट वापस लिया ।
९ अ २. नाजी चिन्ह का ‘स्वस्तिक’ के रूप में उल्लेख टालने के लिए बाध्य करना : कनाडा की सरकार ने हिन्दुओं का प्रतीक बने ‘स्वस्तिक’ की तुलना नाजी प्रतीक से की थी । समिति ने इसके विरुद्ध कनाडा सरकार को ज्ञापन भेजे तथा ‘ऑनलाइन कैंपेन (अभियान) चलाए । इसके फलस्वरूप कनाडा के प्रधानमंत्री ने नाजी प्रतीक का ‘स्वस्तिक’ के रूप में उल्लेख करना रोक दिया ।
१०. समापन
इस लेख में अभी तक सफलता के जो प्रसंग उद्धृत किए गए हैं, वो संक्षिप्त और महत्त्वपूर्ण थे । इसके अतिरिक्त भी अनेक घटनाओं में समिति को सफलता मिली । धर्मकार्य करते समय समिति के सैकडों कार्यकर्ता ‘धर्माे रक्षति रक्षितः ।’ अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म अर्थात ईश्वर रक्षा करते हैं, इसकी अनुभूति कर रहे हैं । वास्तव में देखा जाए, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मार्ग सरल नहीं है, अपितु यह पथ कांटों भरा है तथा उसमें अनेक बाधाएं हैं; परंतु भगवान की कृपा के कारण धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के मार्ग में समिति को कुछ सफलता की प्राप्ति के रूप में कुछ पुष्प भी प्राप्त हुए । उसके लिए हम भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञ हैं । भगवान हमें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए समर्पित भाव से अविरत कार्य करने की प्रेरणा, शक्ति तथा बुद्धि प्रदान करें; यह भगवान के चरणों में प्रार्थना है ! (सितंबर २०२२) (समाप्त)
– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति