वैचारिक आतंकवादी !
अभी तक आपने आतंकी संगठनों, विभाजनकारी, नक्सली आदि संगठनों को प्रतिबंधित करने के समाचार सुने होंगे; परंतु जब रूस ने सामाजिक माध्यम अमेरिकी प्रतिष्ठान ‘मेटा’ के आतंकी संगठन होने की बात कहकर उस पर प्रतिबंध लगाया, तब संपूर्ण जगत ही आश्चर्यचकित हुआ । रूस की दृष्टि से ‘मेटा’ आतंकी संगठन प्रमाणित हुआ, तब भी विश्व की दृष्टि से अभी तक तो वैसा नहीं है । फेसबुक, वॉट्स एप एवं इंस्टाग्राम, ये सामाजिक माध्यम ‘मेटा’ प्रतिष्ठान द्वारा संचालित होते हैं तथा संपूर्ण विश्व में उन पर करोडों लोगों के खाते हैं । इसके द्वारा सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है । उनका जाल बडा विस्तृत है । आज विश्व की बडी जनसंख्या इन माध्यमों से जुडी हुई है । इनके द्वारा ‘मेटा’ प्रतिष्ठान को प्रतिदिन अरबों रुपए का लाभ मिलता रहता है । मार्क जुकरबर्ग इस प्रतिष्ठान के मालिक हैं । आज का समाज इन माध्यमों के बिना कुछ क्षण भी नहीं रह सकता, इतना उनका प्रभाव है । रूस की जनसंख्या १५ करोड है; उनमें से १३.५ करोड लोग इन माध्यमों से जुडे हुए थे । इन माध्यमों के द्वारा कहीं कोई आतंकी आक्रमण हुआ अथवा किसी की हत्या जैसी कोई घटना अभी तक नहीं हुई है; परंतु तब भी रूस ने उस पर प्रतिबंध लगाया । इस प्रतिबंध का बडा कारण यूक्रेन के साथ चल रहा युद्ध है । रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से लेकर प्रसारमाध्यमों के द्वारा रूसविरोधी तथा यूक्रेन के पक्ष में समाचार दिए जा रहे हैं, ऐसा पहले दिन से दिखाई दे रहा है, ऐसा कहा जाता है; क्योंकि आज संपूर्ण विश्व में जो कुछ भी बडे तथा कथित प्रतिष्ठित प्रसारमाध्यम हैं, वे अमेरिका अथवा पश्चिमी देशों के हैं । इसलिए ये माध्यम समाचार देते समय, अमेरिका की नीति के लिए सुविधाजनक हों; इस प्रकार से देते हैं तथा विश्व में उसके अनुरूप वातावरण बनाते हैं । रूस का यह दावा है कि यूक्रेन के विरुद्ध का युद्ध आरंभ होने से लेकर उन्होंने रूस के विरुद्ध समाचार देना आरंभ किया है । इस युद्ध में रूस की हार हो रही है । उनके टैंक यूक्रेन के द्वारा ध्वस्त किए जा रहे हैं, रूस के सैनिक भयभीत हैं, उन्हें युद्ध नहीं करना है, रूसी सैनिक यूक्रेन के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं जैसे विभिन्न प्रकार के समाचार रूस के विरुद्ध प्रसारित किए जा रहे हैं । तो दूसरी ओर नाटो देश किस प्रकार यूक्रेन की सहायता कर रहे हैं, यह भी दिखाने का प्रयास हो रहा है; ऐसा रूस को लग रहा है । सामाजिक माध्यमों से इसका प्रसार होने से ही मार्च २०२२ में रूस ने फेसबुक एवं इंस्टाग्राम पर प्रतिबंध लगाया । उसे न्यायालय में चुनौती देने के उपरांत न्यायालय ने भी इस प्रतिबंध का समर्थन किया; परंतु जिस प्रकार संपूर्ण विश्व के लोग इन माध्यमों के बिना नहीं रह सकते, उसी प्रकार रूस के लोगों की भी स्थिति होने से वे वी.पी.एन. (वर्च्युअल प्राइवेट नेटवर्क) के द्वारा इन माध्यमों से स्वयं को जोड रहे थे । सरकार इस पर कुछ नहीं कर पा रही थी । पश्चिमी माध्यमों के रूसविरोधी इस वार्तांकन को इन माध्यमों से बडी प्रसिद्धि मिल रही थी तथा अनेक लोग उस पर अपना मत रख रहे थे । इसके कारण रूसी लोगों का बुद्धिभ्रम हो रहा था । वे पुतिन सरकार के विरुद्ध आंदोलन भी कर रहे थे । ‘रूस यूक्रेन के लोगों पर अत्याचार कर रहा है’, इस प्रकार की बहुत बदनामी की जा रही थी । उसके कारण ही रूस सरकार ने ‘मेटा’ पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया । संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अंतर्गत ही यह प्रतिबंध लगाए जाने से इसका विरोध नहीं हो सकता ।
भारत भी अपनी व्यवस्था विकसित करे !
रूस द्वारा लगाया गया यह प्रतिबंध आगे जाकर अनेक देशों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होने की भी संभावना है । चीन में पहले से ही फेसबुक, वॉट्स एप, ट्वीटर आदि पश्चिमी माध्यमों पर प्रतिबंध है । अब अन्य देशों द्वारा भी चीन एवं रूस के पथ पर चलने की संभावना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता तथा वह अनुचित होगा, ऐसा भी कहा नहीं जा सकता; क्योंकि प्रत्येक देश को अपने देश की प्रतिमा, लोगों की विचारधारा आदि पर नियंत्रण रखने का अधिकार है । यह एक वैचारिक युद्ध है तथा उसमें पश्चिमी देश बहुत अग्रणी हैं । सामाजिक माध्यमों का काल आने से पूर्व ही पश्चिमी देश के नियतकालिक शत्रु देशों का दुष्प्रचार करनेवाले लेख, भेंटवार्ताएं आदि प्रसारित कर रहे थे । आज भी जहां अमेरिका अपने नियतकालिकों में भारत के प्रति दुष्प्रचार करनेवाले लेख प्रकाशित करता है, उन्हें भारत के तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी, आधुनिकतावादी, धर्मांध आदि लोग वैचारिक खाद की आपूर्ति करते हैं, यह विशेष है । भारत ऐसे नियतकालिकों पर भारत तक सीमित प्रतिबंध लगा सकता है । इसके साथ ही सामाजिक माध्यमों में भी हिन्दू एवं भारत के विरुद्ध बडे स्तर पर दुष्प्रचार किया जाता है । अभी तक गिरफ्तार किए गए जिहादी आतंकियों द्वारा इन्हीं माध्यमों से जिहाद का प्रचार करने की बात सामने आई है । इससे पूर्व भारत में ऐसे माध्यमों पर प्रतिबंध लगाने की मांग हो चुकी है; परंतु इसका दूसरा पक्ष भी है । भारत में भी इन्हीं माध्यमों का उपयोग कर राष्ट्रप्रेमी तथा धर्मप्रेमी प्रसार कर रहे हैं, साथ ही धर्मद्रोहियों तथा राष्ट्रद्रोहियों का प्रतिवाद कर रहे हैं । इसलिए भारत में ऐसा कुछ होगा तथा उसे समर्थन मिलेगा, ऐसी संभावना बहुत अल्प है; परंतु भारत को ऐसे माध्यमों पर संचालित भारत तथा हिन्दूविरोधी खातों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता है । भारत सरकार के लिए यह संभव है । भारत सरकार ने अभी तक संबंधित माध्यमों से ऐसे सामाजिक खाते बंद करने के निर्देश देकर उसे करवा भी लिया है । पानी यदि सिर से जा रहा हो, तो रूस की भांति ऐसे माध्यमों को आतंकी प्रमाणित कर उन पर प्रतिबंध लगाने की मानसिकता भारत को तैयार करनी चाहिए, यह भी उतना ही सत्य है !