कैमूर (बिहार) में देवी मुंडेश्वरी के मंदिर में दी जाती है रक्तहीन बलि !
कैमूर (बिहार) – यहां के मुंडेश्वरी देवी मंदिर में नवरात्रि में मनोव्रत (मनोकामनाएं अथवा मन्नतें) पूर्ण करने के लिए रक्तहीन बलि दी जाती है । अर्थात बलि की प्रक्रिया बकरे को मारे बिना पूरी हो जाती है। यह मंदिर ५ वीं शताब्दी का माना जाता है । मंदिर ६०० फीट ऊंची पहाडी पर स्थित है । इसविषय में मंदिर के पुजारी पिंटू तिवारी ने बताया कि बकरे को मंदिर के गर्भगृह में ले जाया जाता है ।
गर्भगृह में बकरे को मुंडेश्वरी देवी की मूर्ति के चरणों के पास रखा जाता है । वहां मंत्रों का पठन किया जाता है, तत्पश्चात बकरा मूच्छित (बेहोश) हो जाता है । देवी की पूजा होने के पश्चात बकरा अपने आप जाग जाता है । तदुपरांत वह बकरा उस भक्त को वापस कर दिया जाता है । केवल इतनी ही विधि बलि के रूप में की जाती है, अर्थात बकरे की हत्या नहीं की जाती । कई श्रध्दालु बकरे की इसप्रकार बली देने के पश्चात उसे छोड देते हैं, तो कई श्रद्धालु घर ले जाकर बलि देते हैं और फिर इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं । यह बलि की प्रथा कबसे शुरू हुई इसकी जानकारी यहां किसी को नहीं है ।