कर्नाटक में धर्मांधता फैलानेवाली मदरसों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाएं !
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश को निवेदन
बेंगळुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक राज्य के मदरसों में दी जा रही शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया जाए, इसके साथ ही आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’पर (पी.एफ.आइ.पर) प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसी मांग विधानसभा के अधिवेशन में रखी जाए; इसलिए शिक्षामंत्री बी.सी. नागेश, कन्नड एवं संस्कृति मंत्री सुनील कुमार, भाजपा के राज्यप्रमुख एन्. रविकुमार सहित विविध मंत्रियों को हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा निवेदन दिए गए । इस अवसर पर समिति के राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा, हिन्दुत्वनिष्ठ नेता श्री. प्रशांत संबरगी, श्री. पुनीत केरेहळ्ळी, श्री. मुने गौडा, अधिवक्ता त्यागराज, श्री. पद्मनाभ होळ्ळ आदि उपस्थित थे ।
Ban madarasa education which spreads intolerance in the state
Memorandum submitted to @BCNagesh_bjp, Minister of School Education, @karkalasunil, Kannada & Culture Minister, Govt of Karnataka by @Mohan_HJS State Spokesperson @HinduJagrutiOrg@vip_sambaragi & others were present pic.twitter.com/Y7ongOKpZo
— HJS Karnataka (@HJSKarnataka) September 21, 2022
इस निवेदन में कहा है कि
१. राज्य में सहस्रों मदरसे सरकारी अनुदान देकर चलाए जा रहे हैं । वर्तमान में मदरसों में देशविरोधी एवं राष्ट्रविरोधी विषय सिखाने के साथ ही बहुसंख्य हिन्दुओं के विरोध में द्वेष फैलाए जाने का भी ध्यान में आया है । राज्य के कुछ मदरसों के शिक्षक एवं विद्यार्थियों को आतंकवादी गतिविधियों के प्रकरण में बंदी बनाया गया है ।
२. आज कर्नाटक में कुछ दंगों के प्रकरण में, इसके साथ ही हत्या, द्वेष फैलाने के प्रकरण में मदरसों के विद्यार्थी, शिक्षक एवं मौलवी (इस्लाम के धार्मिक नेता) का सहभाग होना ध्यान में आ रहा है । कुछ समय पूर्व ही राजस्थान के उदयपुर में निष्पाप कन्हैयालाल की हत्या के प्रकरण के पश्चात केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि ‘देश भर के मदरसों में धर्मांधता का प्रचार हो रहा है; इसलिए मदरसा शिक्षा बंद की जाए ।’ इतना ही नहीं, अपितु शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के भूतपूर्व अध्यक्ष वासिम रिजवी (वर्तमान में जितेंद्र त्यागी) ने बल देते हुए कहा कि मदरसे में देशविरोधी सूत्र सिखाए जाते हैं; इसलिए मदरसा शिक्षा बंद की जाए ।
३. गत माह में असम में आतंकवादी कार्रवाई के प्रकरण में मदरसे के मौलवियों को बंदी बनाए जाने के पश्चात असम सरकार ने राज्य के अधिकांश मदरसे बंद कर उनकी सामान्य सार्वजनिक विद्यालय में गणना की है । इतना ही नहीं, अपितु उत्तराखंड की सरकार ने वहां के १७ मदरसों की मान्यता रहित की है । उत्तरप्रदेश सरकार ने भी देशविरोधी कार्रवाईयों के प्रचार प्रकरण में वहां के ७ सहस्र से भी अधिक मदरसों के सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है । कुछ मदरसों में लडकियों पर लैंगिक अत्याचार की घटनाएं भी सामने आईं हैं । इतना ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानगो ने कहा है कि मदरसों में बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है । मदरसे संविधान के शिक्षा अधिकार अधिनियम २१ का घोर उल्लंघन कर रहे हैं ।
४. उपरोक्त विषय राज्य की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण होने से राज्य के धार्मिक सौहार्दता के वातावरण की रक्षा करने के लिए सरकार को यह विषय अत्यंत गंभीरता से लेकर कर्नाटक राज्य के मदरसा शिक्षा की मान्यता रहित करनी चाहिए ।