लवंगा (जिला सांगली) के ग्रामीणों द्वारा चोर समझकर साधुओं की जोरदार पिटाई : पुलिस के हस्तक्षेप से अनर्थ टला !
जत (जिला सांगली) – सांगली जिले के लवंगा में उत्तरप्रदेश के ४ साधुओं की ‘बच्चे भगानेवाली टोली’ समझकर मारपीट की गई । यह घटना १३ सितंबर की दोपहर की बताई जाती है । उमदी पुलिस के हस्तक्षेप करने से साधुओं का छुटकारा हुआ, अन्यथा यहां पर भी पालघर जैसी घटना की पुनरावृति होती । वर्ष २०२० में पालघर जिले में २ साधुओं को चोर समझकर भीड ने जोरदार पिटाई कर, उनकी हत्या की थी । (ग्रामीणों को साधुओं के चोर होने की आशंका थी, तो उन्हें पकडकर पुलिस को क्यों नहीं सौंपा ? कानून हाथ में लेने का उन्हें अधिकार किसने दिया ? हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने से भारत में आज खरे साधु-संत भी हिन्दुओं को पहचानने में नहीं आते । इससे पालघर एवं जत जैसी घटनाएं हो रही हैं ! – संपादक) इस प्रकरण में ६ लोगों पर अपराध प्रविष्ट किया गया है, ऐसी जानकारी सांगली के पुलिस अधीक्षक दीक्षितकुमार गेडाम ने संवाददाता को दी ।
साधू गाडीतून निघाले असता, एका मुलाला त्यांनी… पाहा त्यानंतर काय झालं
#sangli https://t.co/GLW59XHe5i— Maharashtra Times (@mataonline) September 13, 2022
इस संदर्भ में अधिक जानकारी –
१. उत्तरप्रदेश के वाराणसी से ४ साधु कर्नाटक में देवदर्शन के लिए गए थे । कर्नाटक से देवदर्शन कर, वे लवंगा मार्ग से वीजापुर जा रहे थे । रास्ते में गाडी रोककर उन्होंने एक छात्रा से पूछताछ की, ‘वीजापुर मार्ग कहां से जाता है ?’
२. उसी समय कुछ स्थानीय नागरिक वहां पहुंचे । साधुओं की भाषा न समझने से उनका संशय बढा और साधुओं को गाडी से बाहर खींचकर कमरपट्टे (बेल्ट) और लाठियों से उनकी पिटाई की । इस समय साधुओं ने निरंतर यह बताने का प्रयत्न किया कि वे साधु हैं; परंतु उन ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनी ।
३. इस घटना की जानकारी मिलने पर उमदी पुलिस वहां पहुंची । पुलिस के साधुओं का अन्वेषण करने पर उनके पास उत्तरप्रदेश का आधारकार्ड मिला । पुलिस ने उनके सगे-संबंधियों से दूरभाष पर बात की, तब जानकारी मिली कि वे मथुरा के श्री पंचदशनाम जुना अखाडे के साधु हैं ।
४. यह घटना अपसमझ होने से हुई है, ऐसा कहते हुए साधुओं ने ग्रामीणों को क्षमा कर दिया । इस कारण पुलिस में परिवाद प्रविष्ट नहीं किया गया ।
इस संदर्भ में ‘एन. आइ. ए.’ वृत्तसंस्था ने सांगली जिला पुलिस अधीक्षक दीक्षित गेडाम से पूछने पर वे बोले, ‘‘इस संदर्भ में हमारे पास कोई भी लिखित परिवाद नहीं है; परंतु सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित वीडियो एवं छायाचित्र देखकर हम वास्तविक स्थिति समझकर ले रहे हैं । इस संदर्भ में योग्य कारवाई की जाएगी ।’’ |
संपादकीय भूमिका
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