ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के प्रयासों को तोड डालना आवश्यक ! – कुरु थाई, उपाध्यक्ष, बालसंसाधन एवं विकास संस्था, अरुणाचल प्रदेश
मुंबई – ‘‘अरुणाचल प्रदेश में कुछ दिन पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हस्तों परशुराम कुण्ड के स्थान पर भगवान परशुराम की मूर्ति का उद्घाटन किया गया । इसके साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को अरुणाचल प्रदेश में पहली बार बन रहे हवाई अड्डे को स्थानीय नाम देने का प्रस्ताव भेजा । इन घटनाओं की पृष्ठभूमि पर स्थानीय समाचार-पत्रों में ‘अरुणाचल प्रदेश का भगवाकरण हो रहा है’, यह रुदाली रोई गई । अरुणाचल प्रदेश में ‘परशुराम कुण्ड’, प्राचीन संस्कृति, परंपराएं और धार्मिक स्थल भाजपा ले आई है । अरुणाचल प्रदेश में एक बार ईसाई धर्म का स्वीकार न करने से हिन्दू महिला को जिंदा जलाने की घटना हुई, साथ ही एक मंत्री ने ईसाईयों के एक बडे उपक्रम का उद्घाटन किया । ऐसी घटनाएं होने के उपरांत उस समय अरुणाचल प्रदेश के समाचार-पत्रों में ‘अरुणाचल प्रदेश में उपनिवेशवाद का प्रसार’, ऐसा क्यों छापा नहीं गया ? अरुणाचल प्रदेश के कुछ समाचार-पत्र ईसाई मिशनरियों और कुछ राजनीतिक दलों के प्रमुख मुखपत्र बन चुके हैं । वहां हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने का उनका षड्यंत्र है, साथ ही ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मांतरण के भी बडे स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, जिन्हें तोड डालना होगा ।’’ अरुणाचल प्रदेश सरकार की बालसंसाधन तथा विकास संस्था के उपाध्यक्ष श्री. कुरु थाई ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘अरुणाचल प्रदेश में चल रहा हिन्दुओं का संघर्ष’ विषय पर आधारित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर समिति के श्री. सतीश कोचरेकर ने उनके साथ संवाद किया ।
श्री. कुरु थाई ने आगे बताया कि अरुणाचल प्रदेश हिन्दुओं की तपोभूमि है और वहां हिन्दू ही बहुसंख्या में हैं । अरुणाचल प्रदेश में हिन्दू बहुसंख्यक होते हुए भी वहां हिन्दूविरोधी दुष्प्रचार किया जाता है । अरुणाचल प्रदेश में ४० विभिन्न अनुसूचित जाति-जनजातियों के लोग रहते हैं । ये लोग सूर्य, चंद्र, नदी, पर्वत, वृक्ष आदि की पूजा करते हैं । इन जनजातियों के हिन्दू होते हुए भी उन्हें हिन्दू धर्म से तोडने का प्रयास किया जा रहा है ।