संपूर्ण देश में धर्मांतरण कानून लागू कर उसपर कठोर कार्यवाही कीजिए ! – प्रबल प्रतापसिंह जूदेव, प्रदेशमंत्री, भाजपा, छत्तीसगढ
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित विशेष संवाद : ‘धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण !’
मुंबई – ‘‘ईसाई मिशनरी मानवता के लिए विद्यालय और चिकित्सालय अवश्य चलाएं; परंतु इन सुविधाओं के नाम पर हिन्दुओं को ईसाई बनाने के लिए हिन्दुओं का धर्मांतरण क्यों ? शिक्षा और अन्य सेवाओं के नाम पर व्यापार चलाया जा रहा है । हमारी भारतीय संस्कृति पर आघात कर योजनाबद्ध पद्धति से हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जा रहा है । धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विषय है । देश के अनेक राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून भले ही लागू किया गया है; परंतु इस कानून को संपूर्ण देश में लागू कर उसपर कठोर कार्यवाही करना आवश्यक है तथा इसके लिए संपूर्ण देश के हिन्दुओं को प्रयास करने चाहिए ।’’ भाजपा के छत्तीसगढ प्रदेशमंत्री तथा ‘अखिल भारतीय घरवापसी’ के प्रमुख श्री. प्रबल प्रतापसिंह जूदेव ने ऐसा विचार व्यक्त किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण !’ विषय पर आधारित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे ।
देश में हो रहे धर्मांतरण को रोकना आवश्यक ! – विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिन्दू परिषद
‘धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण है’, इसके प्रति किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए । अखंड भारत से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश धर्म के आधार पर ही अलग हुए । कश्मीर, बंगाल, ईशान्य भारत के राज्य और केरल इसके उदाहरण हैं तथा वहां आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई और वहां के हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए । धर्मांतरण रोकने के लिए अनेक साधु-संतों ने बलिदान दिया है । ओडिशा के स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वतीजी ने धर्मांतरण रोकने और हिन्दुओं की घरवापसी करने का महान कार्य करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया ।
कोरोना काल में ‘ईसाईयों द्वारा असहाय हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाना’ मानवता के लिए सबसे बडा कलंक ! – महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी श्री प्रणवानंद सरस्वतीजी, इंदूर (आंध्र प्रदेश)
कोरोना महामारी के काल में जहां निःस्वार्थ भाव से सहायता करने की आवश्यकता थी, वहां धर्मांतरण करनेवाले इसे हिन्दुओं का धर्मांतरण करने का बडा अवसर मानते थे और उसके लिए प्रयास करते थे । ‘ईसाईयों द्वारा असहाय हिन्दुओं का धर्मांतरण किया जाना’ मानवता के लिए सबसे बडा कलंक माना जाएगा । कोरोना काल में ईसाई मिशनरी हिन्दुओं के मन में उनके देवताओं के मन में घृणा उत्पन्न कर ‘आपने ईसाई पंथ का आचरण कर यीशू का नाम लिया, तो कोरोना आपका कुछ नहीं बिगाड सकता’, ऐसा बोलकर हिन्दुओं का धर्मांतरण करते थे ।
धर्मांतरण विरोधी कानून समय की मांग ! – आनंद जाखोटिया, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था, ‘जब किसी एक व्यक्ति का धर्मपरिवर्तन होता है, तब केवल उसका धर्मपरिवर्तन ही नहीं होता, अपितु वह हिन्दू धर्म के विरुद्ध शत्रु के रूप में खडा हो जाता है ।’ पहले का अखंड भारत अब विभाजित हुआ है । देश के ९ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए हैं । हिन्दुओं का धर्मांतरण कराने के लिए विदेशों से बडे स्तर पर पैसा भेजा जा रहा है । संपूर्ण देश में ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ इतनी कठोर पद्धति से लागू किया जाना चाहिए कि उससे धर्मांतरण कराने का कोई साहस नहीं दिखा सके । धर्मांतरण विरोधी कानून समय की मांग है ।