इस्लाम में नमाज अनिवार्य नहीं, तो हिजाब कैसे आवश्यक ? – उच्चतम न्यायालय का प्रश्न
(हिजाब अर्थात मुसलमान महिलाओं द्वारा सिर और गर्दन को ढंकने के लिए प्रयोग किया जाने वाला वस्त्र)
नई दिल्ली – कर्नाटक की शिक्षण संस्थाओं में मुसलमान छात्राओं के हिजाब परिधान करने पर प्रतिबंध लगाया गया है । इसके विरोध में कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती देने के उपरांत न्यायालय ने सरकार के निर्णय को जारी रखा था , जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है । इस पर हुई सुनवाई के समय मुसलमान पक्ष की ओर से अपना पक्ष रखते हुए ‘नमाज, हज, रोजा, जकात (इस्लाम के लिए दान देना) और इमान (इस्लाम पर श्रद्धा) यह अनिवार्य नही’, ऐसा कहा गया । इस पर न्यायालय ने पूछा, ‘तो फिर महिलाओं के लिए हिजाब कैसे अनिवार्य हो सकता है ?’ इसपर अगली सुनवाई ११ सितंबर को होने वाली है ।
How is #hijab compulsory in #Islam when #namaz isn’t: Supreme Court https://t.co/y57KqINtJ2 pic.twitter.com/PqLVzMS66H
— The Times Of India (@timesofindia) September 9, 2022
१. याचिकाकर्ता फातमा बुशरा के अधिवक्ता मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा ने कहा कि, इस्लाम के ५ सिद्धांतों का पालन करने के लिए काई आग्रह नही; लेकिन इसका अर्थ ऐसा नही कि, इसका पालन करना इस्लाम में आवश्यक नही ।
२. पाशा ने युक्तीवाद करते समय सिखों की पगडी का उदाहरण दिया । इसपर न्यायालय ने कहा कि, सिख धर्मानुसार ५ ‘क’ कार (कंघी, कृपाण, कडा, केश और कछहेरा (अंतर्वस्त्र) यह उन्हे अनिवार्य हैं । कृपाण का उल्लेख संविधान में भी है ।