चीन का विधान राजनीतिक शिष्टाचार का उल्लंघन !
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नई देहली – भारत के विरोध करने के उपरांत भी श्रीलंका ने जासूसी करनेवाली चीन की नौका को उसके हंबनटोटा बंदरगाह में आने की अनुमति दी थी । एक सप्ताह तक यह नौका इस बंदरगाह में रहने के पश्चात अब वह मार्गस्थ हो गई है । इस संदर्भ में भारत ने श्रीलंका का विरोध किया था । इस पर चीन के श्रीलंका में स्थित राजदूत जेनहोंग ने भारत की आलोचना की थी । ‘श्रीलंका के राष्ट्रीय सार्वभौमिक, स्वतंत्रता तथा प्रादेशिक अखंडता का उल्लंघन नहीं सहन किया जाएगा । भारत श्रीलंका के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप कर रहा है’, उन्होंने भारत का नामलिए बिना ऐसा आरोप लगाया था । (श्रीलंका के संदर्भ में चीन खुले आम भारत को ऐसे शब्दों में सुनाता है, यह भारत की परराष्ट्रनीति की विफलता है । चीन को जैसे को तैसा उत्तर देने की आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस पर अब भारत ने चीन को प्रत्युत्तर दिया है ।
➡️We have noted the remarks of the Chinese Ambassador. His violation of basic diplomatic etiquette may be a personal trait or reflecting a larger national attitude.(1/3)
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) August 27, 2022
कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त ने ट्वीट कर कहा है कि श्रीलंका को अनावश्यक दबाव डालने की नहीं, बल्कि समर्थन की आवश्यकता है । चीन के राजदूत का विधान राजनैतिक शिष्टाचार का उल्लंघन है । श्रीलंका के उत्तर में पडोस के (भारत) देश के विषय में उनका दृष्टिकोण उनके स्वयं के देश के व्यवहार का प्रतिबिंब हो सकता है’ (ऐसी नरमी से दिए गए उत्तर का चीन पर कोई भी परिणाम नहीं होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)