असाध्य बीमारी में भी अंतिम श्वास तक लगन से साधना करनेवाली सनातन की दिवंगत साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला केसरकरजी एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी मराठेजी ने प्राप्त किया संतपद !
रामनाथी (गोवा) – कर्करोग समान असाध्य बीमारी का धैर्य से सामना करते हुए अंतिम श्वास तक साधनारत सनातन की साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला रामदास केसरकर (देहावसान : १८.१०.२०२१) द्वारा सनातन का १२१ वां संतपद एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी प्रकाश मराठे (देहावसान : १६.७.२०२२) द्वारा सनातन कां १२२ वां संतपद प्राप्त करने की आनंदवार्ता सनातन संस्था की ओर से संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने एक संदेश द्वारा दी । पू. स्व. (श्रीमती) प्रमिला रामदास केसरकरजी एवं पू. स्व. (श्रीमती) शालिनी प्रकाश मराठेजी ने सनातन के मार्गदर्शन के अंतर्गत दीर्घकाल तक साधना की । मृत्यु से पूर्व कठिन शारीरिक स्थिति में भी ईश्वरभक्ति के आधार पर स्थिर रहना, भगवान का अस्तित्व अनुभव करते हुए मिलने आनेवाले साधकों को भी आनंद देना, उनकी विशेषता थी ।