बांग्लादेश में हिन्दू लडकी के साथ छेडखानी करनेवाले धर्मांधों का विरोध : पीडिता के पिताजी पर ही किया प्राणघातक आक्रमण !
पुलिस ने अपराध प्रविष्टि करने से मना कर दिया !
ढाका (बांग्लादेश) – बांग्लादेश में हिन्दू लडकी को तंग करनेवाले धर्मांधों का विरोध करनेवाले उसी के पिता पर धर्मांधों ने प्राणघातक आक्रमण किया । उनका नाम नील माधव साहा है । उनकी बेटी पढने (ट्युशन्स) के लिए जा रही थी, तभी राजशाही रेलवे स्थानक के निकट मार्ग में मिराज उर्फ इमरान एवं प्रिंस नामक दो धर्मांधों ने उसके साथ छेडखानी की । इससे पूर्व भी इन दोनों ने उसको सताया था । छेडखानी के पश्चात इमरान एवं प्रिंस लडकी के घर गए और नील माधव साहा से विवाद करने लगे । तदुपरांत उन्होंने साहा पर चाकू से प्राणघातक आक्रमण किया, तथा हथोडे से उनके सर पर भारी घाव किया । इस समय मामून, फराद, रेहम, अखेर एवं राबिन नामक अपराधी भी उपस्थित थे ।
आक्रमण के समय अपराधियों ने साहा से ३०० रुपए एवं उनकी पत्नी के गले से सोने की माला (चेन) छीन ली । इस घटना के पश्चात साहा पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करने गए, तो पुलिस ने कुछ भी कार्रवार्इ नहीं की । उनको चिकित्सालय में भर्ती किया गया । उपचारों के पश्चात साहा दुबारा पुलिस थाने में गए तब पुलिसकर्मियों ने कहा कि यह घटना रेलवे पुलिस की सीमा में हुई है, तथापि परिवाद यहां प्रविष्ट करने के स्थान पर वहां करें । रेलवे पुलिस ने अपराध प्रविष्ट करने से मना कर दिया । तदुपरांत समाचार पत्र में इस घटना का वृत्त छपने के पश्चात रेलवे पुलिस ने अपराध प्रविष्ट कर तीनों को बंदी बनाया ।
हमें मरना होगा, आत्महत्या करनी होगी अथवा भाग कर भारत जाना पडेगा ! – पीडित लडकी के पिता का छलका दर्द !भारत को अंतरराष्ट्रीय मानवाविधकार संगठनों से कहना होगा कि वे हिन्दुओं पर हो रहे अन्याय की ओर ध्यान दें ! इस विषय में साहा ने कहा कि प्रिंस ने धमकाया था कि यदि यहां जीवित रहना चाहते हो, तो उन्हें प्रिंस को प्रतिमाह पैसे देने होंगे और बेटी का विवाह उसके साथ करना होगा । (औरंगजेब के बांग्लादेशी वंशज ! – संपादक) चूंकि हम यहां अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमें ऐसे प्रसंगों का सामना करना पड रहा है । हमें मरना होगा, आत्महत्या करनी होगी अथवा पलायन कर भारत जाना होगा । हमारी सहायता के लिए कोई भी आगे नहीं आता । हमें न्याय चाहिए । |
संपादकीय भूमिकाबांग्लादेश में असुरक्षित हिन्दू ! भारत को शेख हसीना को सुनाना चाहिए कि एक ओर तो वे कहती हैं, ‘हिन्दू स्वयं को अल्पसंख्यक न मानें’ परंतु दूसरी ओर उनकी रक्षा नहीं करतीं ! |