दुर्गुण एवं अहंकार का त्याग और सद्गुणों का संवर्धन, मनःशांति की कुंजी है ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी
भोपाल के एलएनसीटी में आरोग्य साहाय्य समिति द्वारा तनाव प्रबंधन पर उद्बोधन !
भोपाल (म.प्र.) – ‘‘खरपतवार को उगाने के लिए कुछ मेहनत नहीं करनी पडती; पर बगीचे के लिए हमें मेहनत और योजना दोनों की आवश्यकता होती है । इसलिए जीवन में तनाव दूर कर शांति प्राप्त करने के लिए गुणों के संवर्धन से दोष और अहंकार के खरपतवार को निकालें । दुर्गुण एवं अहंकार का त्याग और सद्गुणों का संवर्धन, यह मनःशांति की कुंजी है । इसलिए भौतिक शिक्षा देते समय छात्रों में गुणसंवर्धन के प्रयास करने से उनका तनाव निश्चित दूर होगा और उनमें एक आदर्श व्यक्तित्व का विकास होगा’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की आरोग्य साहाय्य समिति के अंतर्गत ‘तनाव प्रबंधन’ विषय पर वे लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के अध्यापकों को संबोधित कर रहे थे । इस समय एलएनसीटी के व्यवस्थापकीय संचालक डॉ. अशोक राय ने पौधा देकर एवं श्री. अमितबोध उपाध्याय ने स्मृतिचिन्ह देकर सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी का सम्मान किया । उद्बोधन के पश्चात अध्यापकों ने तनाव प्रबंधन में आनेवाली समस्याएं बताकर उसपर मार्गदर्शन प्राप्त किया ।
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि ‘‘आज नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में हर घंटे में १ युवक आत्महत्या कर रहा है । तनाव किसी भी कारण हो, यदि उसकी जड तक हम जाते हैं, तो उसमें परिस्थिति कम, पर हमारे दुर्गुण और अहंकार अधिक उत्तरदायी होते हैं । यदि हमने दुर्गुणों को हटाने के लिए गुणों का संवर्धन किया और अहंकार को त्यागकर अपनी गलतियां स्वीकारना प्रारंभ किया, तो हम निश्चित रूप से तनावमुक्त हो सकते हैं । यह करने के लिए आवश्यक ऊर्जा हमें ईश्वर के स्मरण से प्राप्त होगी ।’’
अभिमत
१. श्री. अभिनव भार्गव – आज के उद्बोधन के अनुसार प्रत्यक्ष आचरण किया, तो उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे ।
२. डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी – भौतिक युग में निरंतर आनेवाले तनाव को कैसे दूर करें आदि संबंधी जानकारी मिली ।