सनातन की ग्रन्थमाला :‘गुरु-शिष्य परम्परा’
शिष्य को केवल गुरुकृपा से ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है !
गुरुका महत्त्व, प्रकार एवं गुरुमन्त्र
गुरु, पितासे भी अधिक श्रेष्ठ क्यों हैं; विभिन्न विचारधाराओंके अनुसार गुरुके प्रकार क्या हैं; गुरु, सद्गुरु एवं परात्पर गुरु में क्या भेद (अंतर) है; साधकपर गुरुकृपा चरण-प्रति-चरण कैसे होती रहती है; ‘गुरुमन्त्र’ क्या होता है; उसे गुप्त रखना चाहिए, ऐसा क्यों कहा जाता है आदि प्रश्नोंका समर्पक उत्तर देनेवाला ग्रन्थ !
गुरुका शिष्योंको सिखाना एवं गुरु-शिष्य सम्बन्ध
- शिष्य को ज्ञान देने की दृष्टि से गुरु का क्या महत्त्व है ?
- गुरु की शिष्यों को सिखाने की विविध पद्धतियां कौनसी है ?
गुरुका आचरण, कार्य एवं गुरुपरम्परा
- गुरु का आचरण सामान्यतः कैसा होता है ?
- शिक्षक, देवता और गुरु में क्या भेद है ?
- अपने गुरु की अन्यों के गुरु से तुलना क्यों नहीं करनी चाहिए ?
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