अर्पणदाताओ, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ लो !

गुरुकृपा-योगानुसार साधना

‘गुरुकृपा हि केवलं शिष्यपरममङ्गलम् ।’, अर्थात ‘शिष्य का परममंगल (मोक्षप्राप्ति) केवल गुरुकृपा से ही हो सकता है ।’ गुरुकृपा के माध्यम से ईश्वरप्राप्ति की दिशा में मार्गक्रमण को ही ‘गुरुकृपायोग’ कहते हैं । ‘गुरुकृपायोग’ की विशेषता है कि वह साधनामार्गाें को समा लेनेवाला, ईश्वरप्राप्ति का सहज सरल मार्ग है । गुरुप्राप्ति एवं गुरुकृपा होने के लिए उपयुक्त साधना अर्थात ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ ।

(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘साधना’) 

‘१३ जुलाई २०२२ को गुरुपूर्णिमा है । गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह दिवस शिष्य के लिए अविस्मरणीय होता है । इस दिन गुरुदेवजी का कृपाशीर्वाद तथा उनसे प्रक्षेपित शब्दातीत ज्ञान सामान्य की अपेक्षा सहस्र गुना कार्यरत होता है । अतः गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना लाभ होता है ।

१. शिष्य के जीवन में गुरु का महत्त्व !

निर्गुण परमेश्वर का पृथ्वीतल पर कार्यरत सगुण रूप हैं गुरु ! गुरु शिष्य को ज्ञान प्रदान कर उसकी पारमार्थिक उन्नति होने हेतु अखंड परिश्रम उठाते हैं । इसलिए शिष्य के लिए गुरु के बिना अन्य कोई उपाय नहीं होता । शिष्य को गुरु को सबकुछ अर्पित कर उनकी सेवा करना, यही वास्तविक गुरुदक्षिणा होती है । उसके कारण शिष्य पर गुरुकृपा का प्रवाह अविरत बना रहता है ।

२. गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुकार्य हेतु अर्थात धर्मकार्य हेतु अर्पण दें !

इस गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग कर गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर सभी को प्राप्त हुआ है । अतः जिज्ञासु एवं शुभचिंतक धर्मप्रसार का कार्य कर तथा उसके लिए धन अर्पित कर गुरुपूर्णिमा का आध्यात्मिक स्तर पर लाभ लें ।

आजकल धर्मग्लानि का समय होने से ‘धर्मप्रसार का कार्य करना’, सर्वश्रेष्ठ साधना है । इसलिए धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले संत, संस्था एवं संगठनों के कार्य हेतु धन का दान देना, काल के अनुसार आवश्यक है । सनातन संस्था अत्यंत निःस्वार्थ भाव से विगत अनेक वर्षाें से यह कार्य कर रही है । इसलिए अर्पणदाताओं द्वारा सनातन संस्था को दिए जानेवाले अर्पण का विनियोग निश्चित रूप से धर्मकार्य हेतु ही होनेवाला है ।

– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय न्यासी, सनातन संस्था 

  • अर्पण देने के इच्छुक व्यक्ति श्रीमती भाग्यश्री सावंत से 7058885610 क्रमांक पर अथवा sanatan.sanstha2025@gmail.com इस संगणकीय पते पर संपर्क करें ।

  • गुरुपूर्णिमा हेतु घर बैठे ‘ऑनलाइन’ अर्पण देने की सुविधा भी उपलब्ध है । उसके लिए https://www.sanatan.org/en/donate लिंक पर जाएं !