कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना कौनसी है ?
नामजप ही कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना है । वर्तमान में कलियुगांतर्गत कलियुग में गुरुकृपायोगानुसार साधना ही शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करानेवाली साधना है । नामजप, सेवा, सत्संग, त्याग, स्वभावदोष-निर्मूलन, अहं-निर्मूलन, भावजागृति, प्रीति एवं साक्षिभाव आदि गुरुकृपायोगानुसार साधना के चरण हैं । कालमहिमा के अनुसार कलियुग में समष्टि साधना को ७० प्रतिशत तथा व्यष्टि साधना को ३० प्रतिशत महत्त्व है । नामजप, स्वभावदोष निर्मूलन, अहं-निर्मूलन, भावजागृति, यह व्यष्टि साधना है तथा सेवा के अंतर्गत आनेवाला अध्यात्मप्रसार, हिन्दू-संगठन, राष्ट्र एवं धर्म हेतु कार्य करना, यह समष्टि साधना है ।
१. रुचि और क्षमता के अनुसार साधना (जितने व्यक्ति उतनी प्रकृतियां, उतने साधनामार्ग)
२. अनेक से एक की ओर जाना
३. स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाना
४. स्तरानुसार साधना
५. वर्णानुसार साधना
६. आश्रमानुसार साधना
७. कालानुसार साधना
८. सिद्धांतानुसार साधना आदि गुरुकृपायोग अनुसार साधना के प्रमुख सिद्धांत हैं ।
(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’)