३२ वर्षाें उपरांत भी हत्यासत्र एवं विस्थापन जारी; कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय कब मिलेगा ? – श्री. राहुल कौल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून कश्मीर
‘कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन कब ?’ इस विषय पर पत्रकार परिषद में प्रश्न
रामनाथी (गोवा), १५ जून (वार्ता.) – जिहादी आतंकवाद के कारण अपने ही देश में विस्थापित हुए ३२ वर्ष बीत गए, तब भी आज तक कश्मीरी हिन्दुओं को लक्ष्य बनाकर उनका भीषण हत्यासत्र जारी ही है । हिन्दुओं की चुन-चुनकर हत्या की जा रही है । गत कुछ महिनों में कश्मीर में १० हिन्दुओं की हत्याएं हुईं हैं । इसलिए आज भी हिन्दुओं को अपने प्राणों एवं धर्म की रक्षा हेतु कश्मीर से पलायन करना पड रहा है । भारत में संविधान एवं कानून का राज्य होते हुए भी अब तक यह क्यों नहीं रुका ? धारा ३७० हटाने के उपरांत भी कश्मीर को हिन्दूविहीन कर १०० प्रतिशत इस्लामिक राज्य बनाने के प्रयत्न हो रहे हैं । कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या, उनका वंशसंहार है । यह यथार्थ सरकार को मान्य करना चाहिए । कश्मीर में हिन्दुओं के लौटने अर्थात कश्मीर में कुछ लाख लोगों का लौटना नहीं; अपितु भारत के, भारतप्रेमियों का लौटना है । ३२ वर्षाें उपरांत भी कश्मीरी हिन्दुओं का हत्यासत्र एवं विस्थापन जारी ही रहेगा, तो कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय कब मिलेगा ?, ऐसा प्रश्न ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. राहुल कौल ने कश्मीरी हिन्दुओं की ओर से सरकार से पूछा है ।
वे दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’के चतुर्थ दिन पर फोंडा, गोवा के ‘श्री रामनाथ देवस्थान’के विद्याधिराज सभागृह में आयोजित पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री. रोहित भट, तमिलनाडु के ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के संस्थापक अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ एवं ‘हिन्दू जनजागृति समिति’के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे भी उपस्थित थे ।
कश्मीरी वंशसंहार एवं अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम २०२०’ को संसद मान्यता दे ! – रोहित भट
इस अवसर पर ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री. रोहित भट बोले, कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या करनेवाले आतंकवादियों पर सरकार कठोर सैनिक कार्यवाही करे । ‘जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट’ जैसे अन्य अलगाववादी एवं आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर उन्हें जड से उखाड फेंके । विस्थापित हुए ७ लाख कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर में लाने के लिए झेलम नदी के पूर्व एवं उत्तर दिशा में कश्मीर घाटी में हिन्दुओं के लिए स्वतंत्र ‘केंद्रशासित प्रदेश – पनून कश्मीर’ निर्माण किया जाए । संयुक्त राष्ट्र संघ के वंशसंहार कानून के अनुसार भारत सरकार कार्यवाही करे । ‘कश्मीरी वंशसंहार एवं अत्याचार प्रतिबंधक अधिनियम २०२०’ को संसद मान्यता दे ।
इस अवसर पर तमिलनाडु के ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के संस्थापक अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ बोले, ‘‘प्रत्येक कश्मीरी हिन्दू को शस्त्रसज्ज संरक्षण दिया जाए । केंद्रसरकार शीघ्रता से ‘पाकव्याप्त कश्मीर’ अपने नियंत्रण में लेकर उसे भारत को जोडे ।
इस अवसर पर समिति के श्री. रमेश शिंदे बोले, ‘‘कश्मीरी हिन्दुओं को पुन: एकबार अपने ही देश में विस्थापित होने की घडी आना, अत्यंत लज्जाजनक है । यह एकप्रकार से आतंकवादी एवं अलगाववादियों द्वारा दिया केंद्रसरकार को आवाहन है । आज भारत में यदि ऐसा कश्मीर निर्माण नहीं होने देना है, तो हिन्दुओं को ‘सर्वधर्मसमभाव’ एवं ‘सेक्युलरवाद’ जैसी संभ्रम निर्माण करनेवाली कल्पनाओं से बाहर आकर हिन्दू समाज की रक्षा करने के लिए अपनी तैयारी दर्शानी चाहिए ।