VIDEO :‘… तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन हैं ?’, इस पर हिन्दू विचार करें ! – एम्. नागेश्वर राव, पूर्व प्रभारी महानिदेशक, सीबीआई
दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में ‘मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध क्यों ?’, इस विषय पर विचारमंथन !
रामनाथी, १३ जून (संवाददाता) – यह देश धर्मनिरपेक्ष होने के कारण विद्यालयों में इस प्राचीन ग्रंथों की शिक्षा नहीं दी जाती । विद्यालयों में न भगवद्गीता सिखाई जाती है और न वेदों का अध्ययन किया जाता है । हिन्दुओं की इस महान संस्कृति का प्रसार नहीं हुआ, तो हिन्दू धर्म का प्रचार कैसे होगा ? और हिन्दू धर्म का प्रसार नहीं होगा, तो भारतीय संस्कृति के उत्तराधिकारी कौन होंगे ?, इस पर हिन्दू विचार करें, ऐसा आवाहन केंद्रीय अन्वेषण विभाग के पूर्व प्रभारी महानिदेशक एम्. नागेश्वर राव ने किया । दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में १३ जून को ‘मंदिरों के सरकारीकरण कर विरोध क्यों ?’, इस विषय के उद्बोधन के दूसरे सत्र में ‘सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार, साथ ही हिन्दुओं को संस्कृति से तोडने का षड्यंत्र’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर कल्याण (जिला ठाणे) के ‘सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ सेवा ट्रस्ट’ संस्थापक सद्गुरु श्री नवनीतानंद (गुरुवर्य पू. मोडकजी) महाराज, बेंगलुरू (कर्नाटक) के युवा ब्रिगेड के संस्थापक श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले, भुवनेश्वर (ओडिशा) के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री. अनिल धीर, मुंबई के निरामय चिकित्सालय के निदेशक डॉ. अमित थडानी उपस्थित थे । इस सत्र के समय हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई, ठाणष एवं रायगढ समन्वयक श्री. सागर चोपदार ने सद्गुरु नवनीतानंद महाराज का स्वागत किया ।
इस अवसर पर एम्. नागेश्वर राव ने आगे कहा कि,
१. विश्व में ‘ऋग्वेद’ सबसे प्राचीन ग्रंथ है । यह ग्रंथ हिन्दुओं का है । १ लाख श्लोक अंतर्भूत विश्व का सबसे बडा ‘महाभारत’ यह ग्रंथ भी हिन्दुओं का ही है । यह हमारा धार्मिक वाङ्मय है; परंतु यह देश धर्मनिरपेक्ष होने के कारण इन ग्रंथों को अलगथलक किया गया है ।
२. इस देश में हिन्दू संस्क्ृति की रक्षा करने के लिए कोई भी मंत्रालय नहीं है; परंतु अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय है ।
३. देश में २२ भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा की श्रेणी प्रदान की गई है; परंतु ऐसा होते हुए भी केंद्र सरकार की ओर से ऊर्दू भाषा के उत्कर्ष के लिए प्रयास चल रहे हैं, तो संस्कृत को द्वितीय राष्ट्र भाषा की श्रेणी देने में क्या समस्या है ?
४. हिन्दी फिल्मजगत में ‘उर्दू’ भाषा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है । उर्दू के कारण हिन्दी भाषा मृतप्राय होती जा रही है । आज के समय में हिन्दू भाषा में अधिकांश उर्दू भाषा के शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है । हमने स्वयं शुद्ध हिन्दी भाषा में बात नहीं की, तो अन्य कोई यह नहीं करेगा; इसलिए पहले हमें ही शुद्ध हिन्दी बोलनी चाहिए ।’’
इस अवसर पर उपस्थित अन्य मान्यवरों द्वारा व्यक्त किए हुए विचार
१. सरकार से लडकर हिन्दुओं के मंदिरों का व्यवस्थापन भक्तों को सौंपना है ! – श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले, संस्थापक, युवा ब्रिगेड, बंगलुरू, कर्नाटक
ईसाईयों ने धर्मांतरण कर हिन्दुओं को मंदिर जाने से रोका, साथ ही ईसाईयों ने ही मंदिर जाने की हिन्दुओं की मानसिकता को ही ध्वस्त किया । इसमें कुछ हिन्दुओं का भी समावेश है । अनेक मंदिरों को ध्वस्त कर वहां बडे मॉल बनाए गए । अब प्राचीन मंदिरों को कोई नहीं देखता । ध्वस्त हो चुके प्राचीन मंदिरों का पुनर्निर्माण करने के लिए प्रयास करने आवश्यक हैं ।
सरकार के नियंत्रण में अनेक मंदिर होने से उन्हें यदि वापस लेना हो, तो उसके लिए सरकार से लडकर उन्हें वापस लेना पडेगा । इसके लिए युवा शक्ति का उचित पद्धति से उपयोग किया गया, तो हम रज-तम से सत्त्वगुण की ओर अग्रसर हो सकेंगे ।’’, ऐसा प्रतिपादन बंगलुरू के युवा ब्रिगेड के संस्थापक श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले ने किया । ‘मंदिरों की पवित्रता एवं रक्षा की दृष्टि से अभिनव उपक्रम : मंदिरों की स्वच्छता’, इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले ने आगे कहा कि,
१. ५००-६०० वर्ष पूर्व के प्राचीन मंदिरों के स्थान पर तालाब हैं; परंतु उनमें कचरा और गंदगी फेंकर लोगों ने ही उन्हें दूषित बना दिया है । इसलिए हमने बंगलुरू की युवा ब्रिगेड की ओर से इन तालाबों को स्वच्छ करने का अभियान चलाया । मंदिरों के तालाबों की स्वच्छता करनेवाले पिछले २०० वर्षाें में हम ही पहले हैं ।
२. प्रतिदिन १० से कार्यकर्ता लेकर २ घंटे और रविवार को ५०-६० लोगों को साथ में लेकर हमने रायचूर और गदग के तालाबों की स्वच्छता की । उसके ५ सप्ताह उपरांत ये तालाब पहले जैसे स्वच्छ बन गए । वहां हमने दीपावली की भांति दीप जलाकर आनंद मनाया ।
३. म्हैसूरू के श्री वेणुगोपाल स्वामी मंदिर में तालाब की स्वच्छता की । अब वहां प्रतिदिन पूजा की जाती है, वार्षिक उत्सव होता है और मेला भी लगता है । वहां श्रीकृष्ण का भजन गाया जाता है । इसी प्रकार से हमने वहां का श्रीकृष्ण मंदिर पुनर्जिवित किया है । हमने कर्नाटक के ८-१० मंदिर पुनर्जिवित किए हैं ।
४. हमने संतों से हमें मार्गदर्शन करने का अनुरोध कर उसके अनुसार कार्य करने का आग्रह किया । हमने कर्नाटक के ७० संतों की एक परिषद आयोजित की, जिसमें लव जिहाद और मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों की चर्चा की गई ।
प्रशासन ने स्वच्छ किए गए तालाब में पानी छोडना अस्वीकार किया; परंतु भगवान ने वर्षा के माध्यम से तालाब में पानी भर दिया !श्री. चक्रवती सुलीबेले ने कहा, ‘‘युवा ब्रिगेड की ओर से तालाबों की स्वच्छता करने के उपरांत हमने प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर तालाब में शुद्ध पानी छोडने की मांग की; परंतु प्रशासन ने यह मांग अस्वीकार की । उसके उपरांत उसी दिन तालाब के परिसर में मुसलाधार वर्षा हुई । उसके कारण तालाब अपनेआप ही पानी से भर गया । जहां प्रशासन ने हमारा साथ छोडा; परं तु भगवान ने हमारा साथ नहीं छोडा ।’’ |
२. धार्मिक लडाई के साथ कानूनी लडाई लडने के लिए हिन्दुओं को तैयार रहना चाहिए ! – सद्गुरु श्री नवनीतानंद (गुरुवर्य पू. मोडकजी) महाराज, संस्थापक अध्यक्ष, सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ सेवा ट्रस्ट, कल्याण (जिला ठाणे)
‘‘इस्लामीकरण करने के लिए मुसलमान अपनी संख्या बढाकर देश के टुकडे कर रहे हैं, तो ईसाई मिशनरियों ने केरल, असम आदि सीमाओं को देश से तोडने का षड्यंत्र रचा है । उसके कारण हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनकी समस्याओं के विरोध में लडने के लिए प्रत्येक राज्य में क्रियाशील संतों और महंतों को संगठित करना पडेगा । ऐसा करने से सभी राज्य एकत्रित होंगे और उसके द्वारा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की जा सकेगी । ऐसा करने से हिन्दू धर्म अखिल विश्व में पहुंच सकता है । अब ज्ञानवापी मस्जिद की लडाई चल रही है । अनेक स्थानों पर धार्मिक लडाई चल रही है । अतः धार्मिक लडाई के साथ कानूनी लडाई भी लडनी चाहिए ।’’, ऐसा मार्गदर्शन कल्याण (जिला ठाणे) के सद्गुरु श्री स्वामी समर्थ सेवा ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष सद्गुरु श्री. नवनीतानंद (गुरुवर्य श्री. मोडकजी) महाराज ने यहां किया ।
सद्गुरु श्री नवनीतानंद (गुरुवर्य पू. मोडकजी) महाराज ने आगे कहा कि,
१. कल्याण के मलंगगढ पर मच्छिंद्रनाथजी की समाधि है । वहां केवल केळकर पुजारी और एक वृद्ध महिला पूजा-पाठ करने के लिए रहते थे । मलंगगढ पर हिन्दुओं का आना-जाना अल्प था, यह देखकर मुसलमानों ने उस पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया ।
२. अन्य जिलों में तडीपार किए गए मुसलमान वहां छिपकर रहने लगे । उसके उपरांत मुसलमानों ने वहां नमाज पढना आरंभ किया । धीरे-धीरे वहां मुसलमान समुदाय की आवाजाही बढने लगी ।
३. उसके उपरांत मैने इसके विरोध में न्यायालय में प्रमाणोंसहित अभियोग प्रविष्ट किया । अनेक वर्षाें से न्यायालय में यह अभियोग चल रहा है । सभी प्रमाण हमारे पक्ष में होते हुए भी सरकार की निष्क्रियता के कारण अभी इसका निर्णय लंबित है ।
४. मुसलमानों ने इस किले के अनेक स्थानों को अपने नियंत्रण में कर लिया है । मैने कुछ भक्तों के साथ मलंगगढ पर आना-जाना आरंभ किया । उसके उपरांत हम भगवा ध्वज और करताल लेकर अंदर घुस गए । तब अनेक मुसलमानों ने हमारी पीछा किया । उन्होंने मेरे साथ धक्कामुक्की की; परंतु तब भी मैने उनकी चिंता किए बिना आरती और पूजा आरंभ की । इस पद्धति से हिन्दुओं को धर्मांधों से बिना डरे उनके विरुद्ध लडना चाहिए ।
५. धार्मिक स्थलों को टिकाए रखने की और उन्हें विकसित करने का समय आ चुका है ।
६. मैं मठों की स्थापना कर धर्म की शिक्षा दे रहा हूं । इसके द्वारा हम देवता, धर्म और देश की शिक्षा देकर जनजागृति कर रहे हैं । मठ में धार्मिक ग्रंथ वाचन, संस्कृति वेद, पूजा-पाठ और देश के प्रति गर्व के विषय में बताया जाता है । मठ में धर्म के विषय में जनजागृति की जा रही है । छोटे बच्चों को धर्मशास्त्र के अनुसार जन्मदिवस और त्योहार मनाने के लिए बताए जाने पर ये बच्चे अपने माता-पिताओं को भी उस प्रकार से धार्मिक कृत्य करने के लिए बोल रहे हैं । इसका आरंभ हमारे घर से होना चाहिए । प्रत्येक घर गुरुकुल बनना चाहिए ।
३. पुरी में हिन्दुओं के सैकडों प्राचीन मंदिर नष्ट किए जा रहे हैं ! – अनिल धीर, राष्ट्रीय महामंत्री, भारत रक्षा मंच, भुवनेश्वर, ओडिशा
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं का प्राचीन मंदिर है । यहां शंकराचार्य का पीठ भी है । यहां के राज्य सरकार ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर और भुवनेश्वर मंदिर के जीर्णाेध्दार का ढांचा तैयार किया है । इसके लिए ६००-७०० वर्ष पूर्व के मठ तोडे जानेवाले हैं । सरकार ने ऐसे प्राचीन २२ मठों की सूची तैयार की है । इन मठों में पंजाबी मठ, नंगू मठ, नानक मठ, नागा साधुओं का मठ ऐसे प्राचीन मठों का समावेश है । मठ तोडने का विरोध होने पर सरकार ने हिन्दुओं का मनपरिवर्तन करने के प्रयास किए । उसके उपरांत हिन्दुओं को भ्रमित करने का प्रयास किया गया । इस विकास के ढांचे में आनेवाले घरों के मूल्य से अधिक गुना पैसा देकर भूमि खरीद ली गई । विकासकार्याें के लिए खुदाई करते समय जगन्नाथ मंदिर के बाजू की भूमि भी खोदी गई । इससे मंदिर के लिए संकट उत्पन्न होने के कारण हमने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है ।
प्राचीन मंदिरों के स्थान पर खुदाई करने से पूर्व उस भूमि के नीचे क्या है, यह देखना पडता है । इसमें भूमि के नीचे मंदिरों के प्राचीन अवशेष दिखाई दिए; परंतु उसका ब्योरा दबा दिया गया । ओडिशा में ७८ मंदिा भारतीय पुरातत्व विभाग के, तो २१८ मंदिर राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन हैं और १ मंदिर केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन है । १३ वर्षाें के शोधकार्य में मैने ओडिशा के ७ सहस्र मंदिरों की प्रविष्टि की । ये सभी मंदिर ३०० वर्ष पूर्व के हैं । इन सभी प्राचीन मंदिरों को नष्ट करने का षड्यंत्र चल रहा है, ऐसा खेद ‘भारत रक्षा मंच’ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री. अनिल धीर ने व्यक्त की । ‘ओडिशा के मंदिरों की दुर्दशा और सरकार की भूमिका’, इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।