शुक्रवार की नमाज के पश्चात हिंसाचार के पीछे ओवैसी, पी.एफ्.आइ. एवं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ! – जमियत-उलेमा-ए-हिंद का आरोप
मुसलमान नूपुर शर्मा को क्षमा कर दें, ऐसा आवाहन !
नई देहली – नूपुर शर्मा के विरोध में देश में शुक्रवार की नमाज के उपरांत मुसलमानों द्वारा हुए हिंसाचार के पीछे एम्.आई.एम्. के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ्.आई.) एवं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है, ऐसा आरोप जमियत-उलमा-ए-हिंद नामक मुसलमानों के संगठन द्वारा यहां एक कार्यक्रम में किया गया । इसके साथ ही इस संगठन ने आवाहन किया है कि मुसलमान भी उदार मन से नूपुर शर्मा को क्षमा कर दे ।
१. जमियत-उलमा-ए हिंद ने कहा, ‘‘भारत का वातावरण बिगाडने का षड्यंत्र देश एवं विदेशों से रचा जाता है । उसे उजागर कर देश में शांति निर्माण करने के लिए जमियत देश में अभियान चलानेवाला है । इसके साथ ही फतवा भी निकालनेवाले हैं । इस हिंसाचार के पीछे जो हैं उनका नाम हम उजागर करेंगे ।’’
२. जमियत के अध्यक्ष मौलाना सोहैब कासमी बोले, ‘‘इस घटना के विषय में मुहम्मद पैगंबर की नीति क्या होती, इसका विचार कर हमें निर्णय लेना चाहिए । नूपुर ने क्षमा मांगी है । उन्हें क्षमा करना चाहिए । इस्लाम की खरी सीख यही है । इस प्रकरण में हाथ में कानून लेने से स्वयं को रोकना चाहिए । मुसलमानों को न्यायालय पर विश्वास रखना चाहिए । ‘सिर तन से जुदा कर’ (सिर धड से अलग करो) यह इस्लाम की घोषणा नहीं है । भारत के मुसलमानों को पाकिस्तान के मूर्ख मौलवियों द्वारा बनाई गईं ऐसी घोषणाओं से दूर रहना चाहिए । हिंसाचार के प्रकरण में पुलिस कार्यवाही कर रही है; परंतु हिंसाचार का षड्यंत्र रचनेवालों पर कार्यवाही करनी चाहिए । वे स्वार्थ के लिए मुसलमान तरुणों का जीवन खराब कर रहे हैं । इस्लाम एवं देश की प्रतिमा मलिन कर रहे हैं । अयोध्या में श्रीराममंदिर, नागरिकत्व सुधार विधेयक आदि के समय मुसलमानों को दिशाभ्रम किया गया । ‘इस्लाम संकट में है’, ऐसा कहकर उन्हें भडकाया गया । अब भी वही किया जा रहा है ।
'Nupur Sharma should be forgiven as per Islam': Says Jamaat Ulama-e-Hind over #NupurSharma's controversial comment on #ProphetMuhammad#NupurSharmaControversy https://t.co/A0lGrYkd0M
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) June 13, 2022
हिंसाचार के प्रकरण में बंदी बनाए गए मुसलमानों की कानूनी सहायता करेंगे !
इसका अर्थ है हिंसाचार करनेवालों का समर्थन करने का प्रयत्न जमियत से हो रहा है । इस वक्तव्य से यह स्पष्ट है । ऐसी संगठनों की सहायता के लिए कहां से आर्थिक पूर्ति होती है?, इसकी भी पूछताछ पुलिस को करनी चाहिए !
जमियत के सरचिटणीस मौलाना हकीमुद्दीन कासिमी बोले, ‘‘हिंसाचार के प्रकरण में बंदी बनाए गए मुसलमानों की हम सभी प्रकार की कानूनी सहायता करेंगे । पैगंबर के विरोध में निदर्शन करना, यह संविधान द्वारा दिया अधिकार है । उसे रोकने के लिए बंदी बनाना, गोलीबारी करना, घर नष्ट करना इत्यादि बातें अयोग्य हैं । (कासिमी को ध्यान में रखना चाहिए कि निदर्शन करने के कारण संबंधितों पर कार्यवाही नहीं की जा रही, अपितु हिंसाचार करने के प्रकरण में की जा रही है ! – संपादक) सरकार को समझना चाहिए कि वे विदेशी शत्रु नहीं, अपितु देश के नागरिक हैं । (षड्यंत्र रचकर हिंसाचार करनेवाले एवं सार्वजनिक मालमत्ता की हानि करनेवाले देश के एकप्रकार से शत्रु नहीं हैं क्या ? इसीलिए अब उन पर कार्यवाही की जा रही है और आगे भी हिंसाचार करने पर उन पर ऐसी ही कार्यवाही होगी । इस बात का सदैव ध्यान रखें ! – संपादक) रांची में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए मुसलमानों के कुटुबियों को हानिभरपाई दी जाए, ऐसी मांग भी उन्होंने की । (पहले दंगे करवाना और फिर उनपर कार्यवाही होते समय मारे जाने पर, हानिभरपाई मांगना, यही दंगेखोरों को समर्थन करनेवालों की सदा की मांग होती है, यह ध्यान रखें ! – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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