हिन्दुओं का दमन रोकने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !
हिन्दू-संगठन, धर्मशिक्षा एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति
भारत हिन्दूबहुल देश है । जगभर के हिन्दुओं का आश्रयदाता बनने का सामर्थ्य हमारे देश में है; परंतु आज हिन्दूबहुल भारत में हिन्दुओं का ही दमन हो रहा है । स्वतंत्रता के पश्चात अन्य पंथियों का समर्थन करनेवाली और हिन्दुओं का द्वेष करनेवाली सरकारें सत्ता में आईं । इसलिए हिन्दुओं का धर्मांतरण, हिन्दुत्वनिष्ठाेंं की हत्या, आस्थाकेंद्रों का अनादर, मंदिरों का विध्वंस, गौरवशाली इतिहास का विकृतीकरण, ऐसी हिन्दूद्वेषी घटनाएं खुलेआम घट रही थीं । मानो जैसे ऐसी घटनाओं को सरकार का वरदहस्त प्राप्त था । वर्ष २०१४ में सत्तापरिवर्तन होने के पश्चात हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचारों पर यद्यपि अंकुश लगा है, तथापि हिन्दुओं का दमन होनेवाली घटनाएं पूर्णतः रुकी नहीं हैं । हिन्दूद्वेषी धर्मांध, साम्यवादी, आधुनिकतावादी तथा सेक्युलर टोली पर यद्यपि कुछ मात्रा में लगाम लगी है, तथापि इस टोली की धर्म और राष्ट्र विरोधी कार्यवाहियां रुकी नहीं हैं । संसार के अन्य किसी भी देश में बहुसंख्यकों के अधिकारों को ठुकराया नहीं जाता; परंतु भारत की ‘सेक्युलर’ राज्यप्रणाली के कारण हिन्दूबहुल भारत में हिन्दुओं की उपेक्षा हो रही है । वह न हो इसलिए भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना आवश्यक है ।
हिन्दुओं की धार्मिक शोभायात्राओं पर आक्रमण
कुछ माह पूर्व चैत्र शुक्ल १ (हिन्दू नववर्ष), रामनवमी और हनुमान जयंती के निमित्त निकली हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर धर्मांधों ने आक्रमण किए । देहली के जहांगीरपुरी, बंगाल के हावडा, गुजरात के साबरकांठा और आणंद, राजस्थान के करौली, मध्य प्रदेश के खरगोन, महाराष्ट्र के मानखुर्द तथा मालवणी, कर्नाटक के कोलार तथा उत्तराखंड, झारखंड, आंध्र प्रदेश में हिन्दुओं की धार्मिक यात्राओं पर पथराव हुआ । पेट्रोल बम फेंके गए । शोभायात्राओं पर आक्रमण करने के लिए धर्मांधों ने इमारतों की छत पर पत्थर, लाठियां, सरिया आदि का संग्रह किया था, ऐसे समाचार प्रसारित हुए थे । विशेषतः जहांगीरपुर की घटना के पश्चात वहां के स्थानीय प्रशासन द्वारा धर्मांधबहुल बस्ती के अवैध निर्माणकार्य पर बुलडोजर चलाना प्रारंभ करने पर साम्यवादी, कांग्रेसी और धर्मांध टोली ने सर्वाेच्च न्यायालय के द्वार खटखटाकर उसे स्थगित करवाया । हिन्दुओं पर होनेवाले प्राणघाती आक्रमणों के उपरांत कैराना (उ.प्र.) तथा मेवात (हरियाणा) गांव के समान ही करौली के हिन्दू गांव छोड रहे हैं । १९९० में जो स्थिति कश्मीर में थी, वह स्थिति २०२२ में देश के अन्य राज्यों में उत्पन्न हो रही हो, जो हिन्दुओं के अस्तित्व की दृष्टि से चिंताजनक है । आज देश के ७७५ में से १०२ जिलों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । हिन्दुओं का अस्तित्व घटना, राष्ट्र की दृष्टि से संकट की आहट है; क्योंकि हिन्दुत्व ही राष्ट्रीयत्व है । ‘सेक्युलर’ लोकतंत्र में बहुसंख्यक हिन्दुओं पर धार्मिक कारणों से अत्याचार हो रहे हों, तो वह ‘सेक्युलरवाद’ तथा लोकतंत्र की प्रमुख असफलता है, यह हमें मान्य करना होगा ।
भोंपू और हनुमान चालीसा
देश में अनेक स्थानों पर मस्जिदों पर लगे भोंपुओं से प्रातः कर्णकर्कश आवाज में अजान दी जाती है । कर्कश आवाज के कारण नागरिकों की नींद में बाधा आकर उनकी शांत निद्रा के अधिकार का हनन होता है । न्यायालय ने भी रात १० से सवेरे ६ बजे तक ‘लाउडस्पीकर’ पर रोक लगाई है । न्यायालय ने ये अवैध भोंपू हटाने के आदेश दिए हैं, तब भी पुलिस-प्रशासन उसकी कार्यवाही करना सुविधाजनक रूप से टाल रहे थे । अब कुछ राजनीतिक दलों ने इसके विरोध में आक्रामक भूमिका ली है, उसके पश्चात कुछ स्थानों पर भोंपुओं की आवाज घट रही है । आवाज घटना नहीं, अपितु अवैध रूप से लगाए गए भोंपू ही हटने चाहिए । मूलतः ‘लाउडस्पीकर’ से दी जानेवाली अजान इस्लाम का अविभाज्य भाग नहीं है, ऐसा इस्लामी विचारकों ने बताया है, तब भी धर्मांध टोलियां भारत के कानून मानने को तैयार नहीं हैं । धर्मांधों के हठ के कारण सामान्य नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन होते हुए भी जब उसकी अनदेखी की जाती है, तो यह कानून का राज्य है, यह कह सकते हैं क्या ? आज भोंपुओं का विरोध करने हेतु ‘लाउडस्पीकर’ से हनुमान चालीसा पढने की प्रतिक्रियात्मक भूमिका कुछ राजनीतिक दल ले रहे हैं । तब हनुमान चालीसा का विरोध किया जाता है, क्या इसे ‘समान न्याय’ कह सकते हैं ? हिन्दुओं पर होनेवाला इस प्रकार का अन्याय दूर करने के लिए हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है ।
हिन्दुओं पर आघात
आज भी देश में खुलकर हिन्दुओं का धर्मांतरण करने की घटनाएं हो रही हैं । ‘जीजस महान, हिन्दू शैतान’ ऐसी सीख विद्यार्थियों को देने का शिक्षकों का प्रयत्न हो, विभूति और रुद्राक्ष पहननेवाले विद्यार्थी को ईसाई शिक्षक द्वारा पीटा जा रहा हो, ‘लावण्या’ जैसी छात्रा पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने का प्रयत्न हो अथवा प्रलोभन देकर हिन्दुओं को धर्मांतरित करने की घटना हो ! हिन्दुओं पर होनेवाले प्राणघाती आक्रमण, उनका होनेवाला धर्मांतरण आदि के कारण हिन्दुओं की संख्या घटती जा रही है तथा अन्य पंथियों की जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है । हिन्दुओं को सुरक्षा प्रदान करने में वर्तमान व्यवस्था दुर्बल सिद्ध हुई है, यही इससे दिखाई देता है ।
हिन्दवी स्वराज्य के समान ‘हिन्दू राष्ट्र’ आवश्यक
आज जैसी स्थिति है, वैसी ही स्थिति ४०० वर्ष पूर्व थी । आदिलशाही, निजामशाही, इमादशाही, बरीदशाही और कुतुबशाही, ये ५ इस्लामी सत्ताएं हिन्दुओं को समाप्त कर रही थीं । तब छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन इस्लामी राजसत्ताओं को धूल चटाते हुए हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की और हिन्दुओं को सुरक्षा प्रदान की । हिन्दुओं के आस्थाकेंद्रों की रक्षा की । आज भी हिन्दवी स्वराज्य के समान हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है । हिन्दू राष्ट्र ही देश की सर्व समस्याओं का उत्तर है । हिन्दू राष्ट्र कोई भी राजनीतिक संकल्पना नहीं, अपितु आध्यात्मिक संकल्पना है ।
हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना जनमानस में अंकित करने में गोवा में प्रतिवर्ष होनेवाले ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का महत्त्वपूर्ण योगदान है । इस वर्ष इस अधिवेशन में देशभर के २५० से अधिक संगठनों के १००० से अधिक प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है । हिन्दू राष्ट्र निर्मिति के कार्य को गति देने की दृष्टि से समान कृति कार्यक्रम निश्चित करना, कार्य करते समय आनेवाले अनुभवों का आदान-प्रदान करना, कार्य की समस्याएं सुलझाने की दृष्टि से उपाययोजना बनाना, हिन्दू राष्ट्र की वैचारिक भूमिका का प्रसार करना आदि अनेक पहलुओं पर इस अधिवेशन में प्रकाश डाला जाता है । इस वर्ष १२ से १८ जून २०२२ की अवधि में रामनाथी, फोंडा, गोवा में यह अधिवेशन हो रहा है । इस अधिवेशन का हिन्दू जनजागृति समिति के ‘फेसबुक’, ‘ट्वीटर’ और ‘यू-ट्यूब’ आदि ‘सोशल मीडिया’ के माध्यम से ‘लाइव’ प्रसारण किया जानेवाला है । इस अधिवेशन रूपी हिन्दू राष्ट्र के यज्ञ में समिधा के रूप में अपना योगदान देने की प्रेरणा समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को मिले, ऐसी ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है !
– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति.