स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी को ज्ञानवापी में पूजा करने हेतु जाने से रोकने पर उनका अनशन !

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी हिन्दुओं के संत हैं, इसलिए उन्हें रोकने हेतु भारी संख्या में पुलिस प्रबंध रखने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर में नमाज के बाद हुआ हिंसाचार रोकने हेतु ऐसा प्रबंध क्यों नहीं किया ? ये हिन्दुओं को पता होना चाहिए ! धर्मांधों के सामने पूंछ हिलानेवाली पुलिस हिन्दुओं के संतों पर ही पुरुषार्थ दिखाती है !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी के विशेष प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ४ जून को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना (नमाज के पूर्व हाथ-पैर धोने का स्थान) में मिले शिवलिंग की पूजा करने जा रहे थे; परंतु इसके पूर्व ही पुलिस ने उन्हें रोककर उनके श्रीविद्या मठ में नजरबंद किया । श्रीविद्या मठ को पुलिस ने घेर लिया । स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी को बाहर निकलने से मना कर दिया । इसलिए उन्होंने अन्नत्याग कर अनशन प्रारंभ किया है । उन्होंने कहा कि जब तक ज्ञानवापी में प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजा नहीं करूंगा, तब तक मैं अन्न-जल नहीं लूंगा । पुलिस ने बताया कि ज्ञानवापी का प्रकरण न्यायालय में प्रलंबित है, इस कारण स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी को ज्ञानवापी के परिसर में प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दी गई है ।

काशी धर्म परिषद में साधु-संतों की मांग

यदि ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति नहीं दी गई, तो नमाज पढने पर प्रतिबंध लगाएं !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – यहां ३ जून को आयोजित काशी धर्म परिषद की बैठक में साधु-संतों ने कुल २२ प्रस्ताव पारित किए । इस समय मांग की गई, ‘ज्ञानवापी के प्रकरण में न्यायालय आदेश दें, तब तक वहां पूजा करने की अनुमति नहीं मिली, तो नमाजपठन भी बंद होना चाहिए ।’ इस बैठक में पातालपुरी मठ के महंत स्वामी बालकदासजी ने कहा कि ‘हम मुसलमानों के धार्मिक नेताओं को आवाहन करते हैं कि उन्हें सनातन धर्म के प्रमुख श्रद्धाकेंद्र पर किया जा रहा दावा छोड देना चाहिए ।

साधु-संतों द्वारा पारित किए कुछ प्रमुख प्रस्ताव !

१. ज्ञानवापी में प्राप्त शिवलिंग के दर्शन एवं पूजा करने की अनुमति देने की मांग की गई है । यदि यह अनुमति नकारी गई, तो मुसलमानों को वहां जाने के लिए प्रतिबंधित किया जाए ।

२. ‘धार्मिक स्थान कानून १९९१’ रहित करें, शिवलिंग को फव्वारा कहनेवाले असदुद्दीन ओवैसी पर अपराध प्रविष्ट किया जाए ।

३. मक्का एवं मदिना के इमामों को (इस्लाम के धार्मिक नेताओं को) पत्र भेजकर औरंगजेब ने काशी स्थित मंदिरों को ध्वस्त किया, इसके इतिहास से अवगत कराया जाए । (५.६.२०२२)

१०० करोड सनातन धर्मियों के पूजा का अधिकार अस्वीकार न करें !

पूजा की अनुमति अमान्य करने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी ने प्रशासन को प्रश्न पूछा कि पुलिस हम से पूजा की सामग्री लेकर विधिविधान से हमारे देवता का पूजन करें । हम स्नान करते हैं, भोजन करते हैं, जल पीते हैं, सब कुछ करते हैं, परंतु हमारे ईश्वर वैसे ही रहते हैं, ये कैसे चलेगा ? ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग हमारा आदि विश्वेश्वर का प्राचीन ज्योतिर्लिंग है । देवताओं की पूजा की जाती है, कारण उनमें प्राण होते हैं । देवता को भूखा-प्यासा नहीं रख सकते । उनके स्नान, शृंगार, पूजा, प्रसाद आदि नित्य होना चाहिए । हमारी छोटी सी मांग है कि हमें दिन में एक बार हमारे आराध्य के पूजन की अनुमति मिले । पुलिस हमारा मार्ग रोककर हमारे सम्मुख खडी है । पुलिस उनका काम करेगी, हम हमारा काम करेंगे । उपासना का अधिकार प्रत्येक सनातन धर्मी का मौलिक अधिकार है । मैं प्रशासन को बार-बार विनती करता हूं कि हमें ज्ञानवापी में पूजा करने दें । मैं मेरे सहकारियों को वहां नहीं ले जाऊंगा, केवल मुझे अकेले ही १०० करोड सनातन धर्मियों के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट हुए देवता की पूजा करने दें । देवता की पूजा करने का अधिकार अस्वीकार न करें । (५.६.२०२२)