पूर्व न्यायालय आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने न्यायालय को सौंपी सर्वे रिपोर्ट !
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वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – न्यायालय आयुक्त विशाल सिंह ने यहां दीवानी न्यायालय के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे तथा चित्रीकरण (वीडियोग्राफी) पर रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी है । इससे पूर्व, न्यायालय द्वारा पदमुक्त न्यायालय आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने भी अपनी दो पृष्ठ की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी । प्रस्तुत विवरण में कहा गया है कि, ज्ञानवापी मस्जिद एवं उसके परिसर में देवताओं की खंडित मूर्तियों के अवशेष, मंदिर भग्नावशेष के टीले, शेषनाग की कलाकृतियां, कमल की आकृतियां तथा शिला अवशेष मिले हैं । अजय मिश्रा ने कहा, “मैंने वहां जो कुछ भी देखा, वह स्पष्ट करता है कि निर्मित वास्तु एक मंदिर ही है । चित्रीकरण किए गए ‘चिप’ को सरकारी तिजोरी में सुरक्षित रखा गया है ।” अजय कुमार मिश्रा के नेतृत्व में ६ व ७ मई को सर्वेक्षण किया गया था । इसके उपरांत, १४ से १६ मई तक ज्ञानवापी क्षेत्र का शेष सर्वेक्षण किया गया । न्यायालय को १४ से १६ मई की अवधि में किया गया सर्वेक्षण सौंपा गया । सर्वेक्षण विवरण को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है ।
अजय कुमार मिश्रा के रिपोर्ट में दी गई जानकारी :
१. मस्जिद के बाहर, उत्तर-पश्चिम की दीवार के कोने में देवताओं की कलाकृतियों के साथ एक प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं ।
२. शिला पट्टिकाओं पर कमल की आकृति दिखाई दे रही थी । अंदर की कुछ शिलाओं की कलाकृति पर स्पष्ट रूप से कमल और अन्य आकृतियां थीं ।
३. उत्तर-पश्चिम कोने पर नया निर्माण रेत-सीमेंट से किया गया है । उत्तर से पश्चिम की ओर जाते हुए, मध्यवर्ती क्षेत्र में शेषनाग की कलाकृति दिखाई दी ।
४. चौथी आकृति, जो एक मूर्ति की तरह दिखती है, वह सिंदूर की मोटी परत से आच्छादित है ।
५. परिसर की भूमि पर प्राप्त शिलाएं ऐसा प्रतीत होता है कि लंबे समय से पडी हों । वे एक बडी वास्तु का हिस्सा प्रतीत होती हैं ।
६. मस्जिद के बाहर दरवाजे के चौखट मिले हैं । हिन्दू पक्ष के सदस्यों ने कहा कि, ये चौखटें श्रृंगार गौरी मंदिर के अवशेष हैं ।
छाया चित्रकार ने छल किया ! – अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा
अजय कुमार मिश्रा को न्यायालय द्वारा ‘न्यायालय आयुक्त’ के पद से मुक्त करने के संबंध में अधिवक्ता मिश्रा ने कहा, “मैंने कुछ भी अयोग्य नहीं किया है । मैंने एक चलचित्र छायाकार को चित्रांकन का कार्य दिया था, उसने छल किया । मुझे विशाल सिंह द्वारा किए गए अभियोग के कारण हटाया गया है । अधिवक्ता विशाल सिंह से ऐसी अपेक्षा नहीं थी । उन्होंने मुझसे छल किया है । मेरे विश्वसनीय स्वभाव का गलत लाभ उठाया है । मुझे नहीं पता था, कि विशाल सिंह मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं । मैं वास्तव में दुखी हूं, कि विशाल सिंह ने मुझे अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए निराश किया । मैं सर्वेक्षण के संचालन से संतुष्ट हूं । न्यायालय ने वही किया जो उसे योग्य लगा । सर्वेक्षण के संबंध में मैं कुछ नहीं कहूंगा ।”