प्राणशक्ति प्रणाली उपचार पद्धति ढूंढना
हमारे मन को कार्य करने के लिए जो शक्ति लगती है, उसकी आपूर्ति प्राणशक्ति (चेतना) प्रणाली करती है, हमारे शरीर में कार्यरत रक्ताभिसरण, श्वसन, पाचन आदि संस्थाओं को भी लगनेवाली शक्ति की आपूर्ति प्राणशक्ति प्रणाली करती है । उसमें किसी स्थान पर अवरोध उत्पन्न होने से संबंधित अंग की कार्यक्षमता न्यून होने से बीमारियां उत्पन्न होती हैं । ऐसे समय में इंद्रियों के कार्य में सुधार लाने के लिए आयुर्वेदीय, ‘एलोपैथिक’ आदि चाहे कितनी भी औषधियां लीं, तब भी वे विशेष उपयोगी नहीं होती । उसके लिए प्राणशक्ति प्रणाली में उत्पन्न अवरोध को दूर करना ही एकमात्र उपाय होता है । हमारे हाथों की उंगलियों से प्राणशक्ति निकलती रहती है । उसी का उपयोग कर बीमारी को ठीक करना ही प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति का रहस्य है । गुरुदेवजी ने साधकों के लिए इस अत्यंत सरल उपचार-पद्धति की खोज की है ।
रोगनिवारण के संदर्भ में बिंदुदाब, रिफ्लेक्सोलॉजी आदि उपचार-पद्धतियों में पुस्तकें अथवा जानकारों की सहायता आवश्यकता होती है । पिरैमिड, चुंबक चिकित्सा आदि उपचार-पद्धतियों में संबंधित साधन आवश्यक होते हैं । इस पृष्ठभूमि पर आनेवाले भीषण आपातकाल को ध्यान में रखकर और किसी भी साधन की आवश्यकता न पडनेवाली प्राणशक्ति प्रणाली उपचार-पद्धति अधिक स्वयंपूर्ण सिद्ध होती है । आपातकाल में जहां डॉक्टर, मार्गदर्शक साधक आदि उपलब्ध होना कठिन हो जाएगा, ऐसे में साधक इस उपचार-पद्धति के कारण स्वयं पर उपचार कर पाएंगे । जिन साधकों को ऐसे उपचार ढूंढने नहीं आते, उन्हें अन्य साधक उपचार ढूंढकर दे रहे हैं । इस उपचार-पद्धति की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि लंबी दूरी पर स्थित रोगी अर्थात वह रोगी विश्व में कहीं भी हो या भले ही वह ‘आइ.सी.यू.’ में हो, उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक स्वयं पर उपचार कर उस रोगी को स्वस्थ बनाने में सहायता कर सकता है ।
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, गोवा.