भारतीय युवकों का सेना के प्रति आकर्षण !
‘आजकल सामाजिक माध्यमों पर प्रदीप मेहरा नामक युवक की बहुत चर्चाएं चल रही हैं । सेना में भर्ती होने के लिए उसके रात में दौडने का अभ्यास करनेवाला वीडियो सामाजिक माध्यमों पर बडी मात्रा में प्रसारित हो रहा है । भारतीय युवकों में सेना के प्रति आकर्षण है । अनेक युवकों को सेना में भर्ती होने की इच्छा होती है । प्रदीप मेहरा दिन में एक प्रतिष्ठान में नौकरी करता है और काम समाप्त होने के उपरांत रात में दौडने का अभ्यास करता है । जिसमें ऐसी जिद हो, उसे भारतीय सेना में चयनित होने में निश्चित रूप से सफलता मिलेगी ।
१. सेना में भर्ती होने के लिए युवकों को प्रदीप मेहरा जैसी जिद स्वयं में अंतर्भूत करनी चाहिए !
भारतीय सेना से प्रतिवर्ष ६० ते ७० सहस्र सैनिक सेवानिवृत्त होते हैं । भर्ती की प्रक्रियाएं एक बार अथवा दो बार विभिन्न क्षेत्रों में चलती हैं । युवकों को इस प्रकार की भर्ती में चयनित होने के लिए अच्छी तैयारी करनी चाहिए । उसके कारण सेना में भर्ती होने की संभावना अधिक रहेगी । सेना में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं है । वहां जिसे अधिक अंक मिलेंगे और जो अच्छा काम करेगा, उसी को प्रवेश मिलेगा; परंतु उसके लिए परिश्रम उठाना आवश्यक है ।
भारतीय सैनिकों द्वारा युद्ध में दिखाया गया शौर्य युवकों को आकर्षित करता है । सामाजिक माध्यमों के काल में सेना में भर्ती होने की प्रदीप की जिद युवकों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है । यह युवक काम कर अपने परिजनों की भी जीविका चलाता है । उसे अन्न, वस्त्र और आवास की लडाई प्रतिदिन ही जीतनी पडती है । ऐसी स्थिति में भी उसमें सेना के प्रति विलक्षण आकर्षण है । उसके कारण वह दिन में नौकरी कर रात के समय में अध्ययन करता है, जो किसी भी युवक के लिए एक अच्छा उदाहरण है । अतः आपको केंद्रीय सशस्त्र बल, पुलिस, अर्धसैनिक बल अथवा सेना, इनमें से कहीं भी जाना हो, तो प्रदीप जैसी इच्छाशक्ति रखनी पडेगी, साथ ही परीक्षा के लिए परिश्रम उठाने पडेंगे, तभी जाकर आप सेना में भर्ती हो सकते हैं ।
२. सेना में भर्ती होने के लिए आवश्यक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए तैयारी करना आवश्यक !
प्रदीप मेहरा निश्चित ही एक आदर्श व्यक्तित्व है । वह प्रचंड परिश्रम उठाने के लिए तैयार है । वह बिना किसी की सहायता से यह सब कर रहा है । युवकों ने इस प्रकार परिश्रम उठाए, तो वे निश्चित रूप से सेना में भर्ती हो सकेंगे । सेना में ५० से ६० सहस्र स्थान होते हैं । वहां भर्ती के लिए आनेवालों की संख्या लाखों में होती है; इसलिए जिन्हें सेना में भर्ती होना है, उन्हें बहुत तैयारी करनी पडती है । उसके लिए शारीरिक सक्षमता भी आवश्यक होती है । दौडने की प्रतियोगिता और लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होना पडता है । उसके उपरांत चिकित्सकीय परीक्षा होती है, उसमें भी उत्तीर्ण होना पडता है । इन सभी प्रकार की परिक्षाएं आपको देनी पडती हैं । उसके लिए संपूर्ण तैयारी करना महत्त्वपूर्ण है । प्रदीप उसी का एक बडा उदाहरण है ।
३. युवकों को सेना भर्ती का प्रशिक्षण देनेवाली संस्थाओं से सहायता लेकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रयास करने चाहिए !
समाज के अनेक मान्यवर लोगों ने प्रदीप के कार्य का संज्ञान लिया है । वे उसकी सहायता भी करेंगे; परंतु अन्य युवकों का क्या होगा ? आज बेरोजगारी देश की सबसे बडी समस्या है । लोगों को बडे स्तर पर काम चाहिए; परंतु सेना में रिक्तियां बहुत अल्प हैं । उसके लिए सरकारी स्तर पर पहले से ही काम जारी है । केवल महाराष्ट्र में ही सेना भर्ती का प्रशिक्षण देनेवाली ३ सरकारी संस्थाएं हैं । ये संस्थाएं सेना में भर्ती कैसे होना है, इसका प्रशिक्षण देती हैं । ‘बी रिक्रुटमेंट ट्रेनिंग सेंटर’ (बी.आर.टी.सी.) की सातारा, कोल्हापुर और बुलढाणा में शाखाएं हैं । नासिक में स्थित कुछ संस्थाएं भी युवकों की सहायता करती हैं । अनेक सेवानिवृत्त सैनिक, ‘जेसीओज’ (Junior Commissioned Officers) अथवा सामाजिक कार्यकर्ता लोगों की सहायता करते हैं । इसलिए महाराष्ट्र के युवकों को इन संस्थाओं का उचित लाभ उठाना चाहिए । सेना में पैसे देकर भर्ती नहीं किया जाता, अपितु वहां गुणवत्ता को ही महत्त्व दिया जाता है, साथ ही वहां चलनेवाली भर्ती प्रक्रिया का १०० प्रतिशत ध्वनिचित्रीकरण किया जाता है ।
४. सेना में भर्ती होने के लिए सेना के पूर्व चिकित्सकीय अधिकारी से चिकित्सकीय जांच करवाकर उसके उपरांत ही सेना में भर्ती होने के लिए प्रयास करना अच्छा रहेगा !
सेना में भर्ती होने की तैयारी अल्प अवधि की नहीं होती । उसके लिए लंबी अवधि का नियोजन करना पडता है । इसके लिए सर्वप्रथम शारीरिक क्षमता अच्छी होनी चाहिए । हम किसी खेल में कुशल हों, तभी हम इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो सकते हैं । लिखित परीक्षा के लिए अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं । उसके लिए निजी शिक्षा वर्ग (कोचिंग क्लास) चलाए जाते हैं । इंटरनेट पर इस विषय में बहुत जानकारी उपलब्ध है । अनेक बार युवक इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हैं; परंतु चिकित्सकीय परीक्षा में अनुत्तीर्ण होते हैं । चिकित्सकीय जांच करनेवाले अत्यंत उच्च श्रेणी के विशेषज्ञ होते हैं ।
अतः हमने पहले ही सेना के सेवानिवृत्त डॉक्टर से अपनी चिकित्सकीय जांच करवा ली, तो कोई समस्या होने की बात पहले ही ज्ञात हो सकेगी । कुछ समस्याएं तात्कालिक हों, तो प्रत्याशी को पुनः एक बार जांच के लिए आने का अवसर दिया जाता है । आपमें कुछ बडी चिकित्सकीय समस्या हो, तो आपका सेना में न जाना ही अच्छा रहेगा । ऐसे में जहां शारीरिक सक्षमता आवश्यक नहीं होती, ऐसे क्षेत्र में जाना उचित रहेगा ।
५. सभी क्षेत्रों में स्वचालित व्यवस्था आने के कारण श्रमिकों की कार्यक्षमता बढने से नौकरियों का अल्प संख्या में उपलब्ध होना
आज के युवक चल-दूरभाष पर प्रचलित सामाजिक माध्यमों में संलिप्त हुए हैं । भारत की बडे स्तर पर प्रगति हो रही है; परंतु भारत में जिस गति से नौकरियां उपलब्ध होनी चाहिए, उतनी वह नहीं होती । पिछले कुछ वर्षाें में तो यह बात तनिक भी साध्य नहीं हुई है, उदा. पहले टाटा जैसे प्रतिष्ठान में एक ही समय में १५ सहस्र लोग काम करते थे; किंतु अब ५ सहस्र श्रमिक १५ सहस्र लोगों का काम करते हैं । इसी प्रकार से स्वचालित तंत्र अनेक क्षेत्रों में कार्यरत हैं । उसके कारण अब केवल शारीरिक परिश्रम उठाने की आवश्यकता है, जो प्रदीप मेहरा ने दिखाई है ।
६. सेना में जाने के लिए इच्छुक युवकों में महाराष्ट्र से बाहर जाने की तैयारी और देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में भ्रमण करने का साहस होना आवश्यक !
२-३ वर्ष पूर्व ही किस क्षेत्र में ‘करियर’ बनाना है; इस विषय में उस युवक, उसके अभिभावकों और शिक्षकों को सुनिश्चित करना आवश्यक है । उसके कारण युवकों को २-३ स्थानों पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर तैयारी करना संभव होगा । उससे आपको एक स्थान पर जाने में सफलता मिलेगी उदा. यदि आपको सेना में भर्ती होना है, तो सेना के अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, इंडो-तिब्बती सीमा पुलिस बल, साथ ही अर्धसैनिक बल, पुलिस आदि विभागों में भर्ती होने की भी तैयारी रखनी चाहिए । उनकी परिक्षाओं में भी लगभग समानता होती है । आज महाराष्ट्र के अनेक युवक अर्धसैनिक बल ‘असम राइफल्स’ में भर्ती हो रहे हैं । उसके लिए महाराष्ट्र से बाहर जाने की और देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में काम करने का साहस होना चाहिए । यह साध्य करने के लिए युवकों को एक ही समय पर २-३ लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर उसके लिए कई वर्षाें से तैयारी करनी चाहिए । ऐसा हुआ, तो आपके परिश्रमों को निश्चितरूप से सफलता मिल सकेगी ।’
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे.