यदि ठोस प्रमाण नहीं हैं, तो संबंधित जगह नमाज पढने के लिए ‘धार्मिक स्थल’ नहीं मानी जा सकती ! – सर्वाेच्च न्यायालय
नई देहली – ‘राजस्थान वक्फ बोर्ड’ की याचिका को खारिज करते हुए सर्वाेच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है, ‘‘यदि पुरानी भीत अथवा स्तंभ के स्थानों पर पहले से धार्मिक कृत्य होने के प्रमाण न हों और यदि उनका वर्तमान में भी प्रयोग नहीं किया जाता है, तो वह जगह नमाज पढने के लिए ‘धर्मिक स्थल’ नहीं मानी जाएगी’’ । इससे पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी ऐसा ही निर्णय दिया था । उसको सर्वाेच्च न्यायालय में आवाहन दिया गया था । न्यायालय ने कहा है, ‘‘इस संदर्भ में याचिका कर्ता ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सके’’ ।
राज्य के भीलवाडा की भूमि ‘जिंदल सा लिमिटेड’ कंपनी को खान के लिए दी गई है । इस के विरुद्ध ‘वक्फ बोर्ड’ ने याचिका प्रविष्ट की थी । उसमें कहा था, ‘‘जो भूमि इस कंपनी को दी गई है, वहां एक पुरानी भीत और स्तंभ है और उसे ‘तिरंगा की कलंदरी मस्जिद’ कहा जाता है । वहां पहले से नमाज पढी जाती है । इसलिए यह जगह सुरक्षित की जाए’’ ।