अमेरिकी मानवाधिकार आयोग द्वारा कश्मीर में हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों को ‘नरसंहार’ के रूप में मान्यता प्रदान !
कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों को ‘नरसंहार’ मानना चाहिए ! – आयोग द्वारा भारत सरकार से किया गया अनुरोध
भारत सरकार द्वारा जो अपेक्षित था, वह संयुक्त राज्य अमेरिका के मानवाधिकार आयोग द्वारा किया गया ! यह आज तक शासन करनेवाले सर्वदलीय शासकों के लिए नितांत लज्जास्पद है, जिन्होंने अपनी आखों नर धर्मनिरपेक्षता का पर्दा लगा रखा है और हिन्दुओं के प्रति हुए जघन्न नरसंहार को शून्य मूल्य दिया ! अभी भी जागिए ! ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ ही हिन्दुओं की इस दुर्दशा का समाधान है ! – संपादक |
वाशिंगटन (यू.एस.ए.) – संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने, जम्मू और कश्मीर में हिन्दुओं के नरसंहार को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है । प्रकरण की सुनवाई के उपरांत, नरसंहार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया ।
१. आयोग द्वारा प्रकाशित एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आयोग ने २७ मार्च को ‘कश्मीरी हिन्दू नरसंहार (१९८९ – १९९१ )’ के विषय पर एक विशेष जन सुनवाई का आयोजन किया था ।
२. इसमें अनेक पीडित, वंशीय और सांस्कृतिक संहार से बचे हिन्दुओं ने अपने ऊपर हुए अत्याचार के साक्ष्य प्रस्तुत किए । देश में अनेक कश्मीरी हिन्दुओं ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का धैर्यपूर्वक वर्णन किया ।
३. ‘जिहादियों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की क्रूरता का सामना कैसे करना पडा ?’, ‘उन्हें अपने अस्तित्व के लिए कैसे लडना पडा ?’, ‘पुनर्वास के लिए उन्हें कितना कष्ट हुआ ?’
४. आयोग ने जन विज्ञप्ति द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार के संबंध में वस्तुनिष्ठ जानकारी प्रदान की और कहा कि, “राजनेताओं, पडोसियों, मित्रों, छात्रों और स्थानीय पुलिस आदि द्वारा नरसंहार से कान बंद कर, आंखें मूंद लेना अत्यंत वेदनादायी था ।”
५. इस प्रकार की हिंसक त्रासदी से जूझने के उपरांत भी, कश्मीरी हिन्दुओं की हिंसक प्रतिशोध लेने या मुसलमान विरोधी प्रचार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है ।
कश्मीरी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को विश्व ‘नरसंहार’ के रूप में मान्यता दे !आयोग ने भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकारों से कश्मीरी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों को “नरसंहार” के रूप में स्वीकार करने का अनुरोध किया है । आयोग ने अन्य मानवाधिकार संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सरकारों से आधिकारिक तौर पर अत्याचारों को “नरसंहार के कृत्यों” के रूप में मान्यता देने का आह्वान किया । |