तनावमुक्ति के लिए बाह्य साधना के साथ-साथ आंतरिक साधना करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
रुद्रपुर (उत्तराखंड) – ‘‘हमारे ऊपर मन की सत्ता चलती है एवं हम उसके गुलाम बन गए हैं । इस कारण जब तक हम यह नहीं सीखते कि मन पर नियंत्रण कैसे करें, तब तक हम बाह्य रूप से चाहे कितने भी औषधोपचार कर लें, तब भी उसका कोई लाभ नहीं होता; इसलिए तनावमुक्ति के लिए बाह्य साधना के साथ-साथ आंतरिक साधना करना आवश्यक है’’, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया ।
उधम सिंहनगर के रुद्रपुर स्थित उत्तराखंड पुलिस की ४६ वीं बटालियन के अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए ‘सुखी जीवन हेतु तनावमुक्ति’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था । इस कार्यशाला को संबोधित करते समय सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी बोल रहे थे । अनेक सैनिकों ने इस मार्गदर्शन का लाभ लिया ।
समिति के श्री. नरेंद्र सुर्वे ने तनाव उत्पन्न होने के आधारभूत कारण एवं तनाव दूर करने की समाधान योजना के विषय में बताया । संस्था के श्री. कार्तिक साळुंके ने जीवन आनंदमय करने के लिए साधना का महत्त्व आदि सूत्रों के विषय में उपस्थित जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया ।
सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने आगे कहा,
१. पुलिस को समाज में जाकर कानून एवं सुव्यवस्था अबाधित रखने के लिए प्रयास करने पडते हैं । उसी प्रकार कठिन परिस्थिति के कारण हमारे अंदर निर्माण होनेवाले तनाव पर विजय प्राप्त करने के लिए हमें प्रयत्न करने पडते हैं । वह कैसें करें, यह किसी भी पाठशाला-महाविद्यालय में नहीं पढाया जाता ।
२. तनावमुक्त जीवन के लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने विश्व को स्वभावदोष-निर्मूलन का आधुनिक मार्ग बताया है ।
क्षणिका : इस समय सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ४६ वीं बटालियन के सहसेनानायक श्री. ए.आर. आर्य एवं उपसेना नायक डॉ. हरीश वर्मा से सद्भावना भेंट की ।