कश्मीरी हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों के लिए कश्मीरी मुसलमानों को उनसे हाथ जोडकर क्षमा मांगनी चाहिए !
पीडीपी के महासचिव जावेद बेग का आवाहन
केवल हाथ जोडकर क्षमा मांगने से कुछ नहीं होगा और कश्मीरी मुसलमान ऐसी क्षमा मांगेंगे, इसकी भी संभावना नहीं है । इसलिए अब केंद्र सरकार को ही अब प्रधानता लेकर इन अत्याचारों में संलिप्त मुसलमानों को दंड मिलने हेतु प्रयास करने चाहिए, तभी जाकर वास्तव में कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा ! – संपादक |
नई देहली – एक ओर जहां ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को पूरे देश में बडी मात्रा में प्रत्युत्तर मिल रहा है, तो दूसरी ओर धर्मांध और हिन्दूद्वेषी इस फिल्म का विरोध भी कर रहे हैं ।
इस परिदृश्य में कश्मीर स्थित पीपल्स डेमोक्रैटिक फ्रंट (पीडीपी) दल के महासचिव जावेद बेग ने ‘कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के लिए मुसलमानों को क्षमा मांगनी चाहिए । हमारी पिछली पीढी ने हिन्दुओं पर अत्याचार किए, यह उनकी चूक थी’, ऐसा कहा है ।
१. जावेद बेग ने गिरिजा टिक्कू इस कश्मीरी युवती का छायचित्र ट्वीट किया है । वर्ष १९८९ में ५ धर्मांधों ने गिरिजा का अपहरण कर उन के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसके उपरांत आरे से उनके टुकडे कर दिए थे ।
२. बेग ने लिखा है, ‘मैं कश्मीरी मुसलमान हूं । आतंकियों ने हमारी बहन गिरिजा टिक्कू के टुकडे-टुकडे किए । स्वतंत्रता के नाम पर इन आतंकियों के हाथ में पाकिस्तान की बंदूकें थीं । यह कोई शोर नहीं, अपितु वास्तविकता है । हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों के लिए उनसे हाथ जोडकर क्षमा मांगता हूं ।
न्यूनतम अब तो कश्मीरी मुसलमानों को लज्जा लगनी चाहिए !
जावेद बेग ने ‘ऍन न्यून कश्मीर’ समाचारवाहिनी के साथ की गई भेंटवार्ता का एक वीडियो पोस्ट किया है । उसमें बेग ने कहा है कि जिन लोगों ने कश्मीरी हिन्दुओं को मारा, वो कहां के थे ? वे बारामुल्ला के नहीं थे, तो हमारे घर के ही थे । कश्मीरी हिन्दू बाहरी नहीं थे, वे हमारे ही वंशज और उनमें हमारा ही रक्त था । कोई भी प्राणी अपने ही वंश के प्राणि को कभी नहीं मारता । बाघ कभी बाघ का शिकार नहीं करता । कुत्ते कभी कुत्तों को नहीं काटते । न्यूनतम अब तो हमें इस के लिए लज्जा लगनी चाहिए ।
वर्ष १९९७ में किए गए हत्याकांड के जावेद बेग साक्षी !
बेग ने कहते हैं कि २१ मार्च १९९७ में यही कश्मीर में सामूहिक हत्याकांड हुआ था । उसमें १२ से अधिक कश्मीरी हिन्दुओं को मार दिया गया था । मैने वह घटना देखी है । उस समय हिन्दू निःशस्त्र थे । उसमें मारे जानेवालों में हमारे क्षेत्र के एक प्रधानाध्यपक थे । मेरे जैसा एक युवक था । हमारे पिता की पीढी ने जो चूकें की हैं, एक शिक्षित युवक के रूप में उनका स्वीकार कर सामूहिकरूप से कश्मीरी हिन्दुओं से हमें उनसे क्षमा मांगनी चाहिए । उसके लिए किसी फिल्म की आवश्यकता नहीं है । (१९.३.२०२२)