उत्तराखंड सरकार की ओर से चारधाम मंदिर व्यवस्थापन कानून रद्द !
पुजारी और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरोध का परिणाम !
अब केंद्र की भाजपा सरकार को देश भर के सरकारीकरण हुए मंदिर को सरकार से मुक्त करके उन्हे भक्तों के अधिकार में देना चाहिए, ऐसी हिन्दुओं की अपेक्षा है ! – संपादक
देहरादून – पुजारी और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा किए विरोध के बाद उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने चारधाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) मंदिर व्यवस्थापन कानून रद्द किया । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने शीतकालीन सत्र में यह कानून रद्द करने के विषय का विधेयक संमत कर उसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा था । राज्यपाल द्वारा उस पर मोहर लगाने के बाद यह कानून रद्द हो गया । इसके बाद सरकार ने इस विषय की अधिसूचना भी निकाली है । इस कानून के विरोध में भाजपा के सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने न्यायालय में याचिका भी प्रविष्ट की थी । यह कानून रद्द होने के बाद चारधाम मंदिरों की व्यवस्था पहले जैसे ही होगी । केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों का व्यवस्थापन ‘बद्रीनाथ मंदिर समिति’ देखेगी ।
Priests regain control of Char Dham shrines in Uttarakhand
The priests of the Char Dham shrines and the BJP-led state government had been at loggerheads on the issue since November 2019.https://t.co/Z4kBXOuHbv
— The Times Of India (@timesofindia) March 1, 2022
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने २७ नवंबर २०१९ के दिन मंत्रीमंडल की बैठक में ‘उत्तराखंड चारधाम देवस्थान व्यवस्थापन विधेयक’ का मान्यता दी थी । ९ दिसंबर २०१९ के दिन यह विधेयक विधानसभा में संमत किया गया । इसके बाद इस पर हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल को भेजा गया था । राज्यपाल के इस पर मोहर लगाने के बाद यह कानून अस्तित्व में आया था । सरकार ने २५ फरवरी र०२० के दिन इसके विषय में अधिसूचना निकालते हुए विश्वस्त समिति की नियुक्ति भी की थी । मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष और सांस्कृतिक मंत्री उपाध्यक्ष थे ।
चारधाम मंदिरों के पुजारियों ने ‘हमारे धार्मिक अधिकारों से मजाक किया जा रहा है’, ऐसा कहते हुए इस कानून का जोरदार विरोध किया, साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठों ने भी इसके विरोध में आवाज उठाई । अंतत: विद्यमान मुख्यमंत्री धामी को यह कानून रद्द करना पडा ।