दंगों के दो वर्ष  के उपरांत भी राजधानी दिल्ली में कट्टरपंथियों के क्षेत्रों से हिन्दुओं का पलायन जारी !

फरवरी २०२० में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के कारण आज भी हिन्दू भयभीत !

  • यदि देश की राजधानी में ही हिन्दुओं की स्थिति इतनी दयनीय है, तो देश के अन्य भागों में हिन्दुओं की परिस्थिति कैसी होगी ; इसका विचार न करना ही योग्य है ?- संपादक
  • हिन्दू बहुल भारत में हिन्दुओं की यह दुर्दशा, १०० करोड हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद है ! इससे यह प्रश्न उठता है, कि दिल्ली में कट्टरपंथी राज करते हैं या सरकार ?- संपादक
  • ध्यान दें, कि कांग्रेसी, वामपंथी, कम्युनिस्ट, अधोगामी हिन्दू, जो हिजाब पहनने की अनुमति न मिलने के कारण कट्टरपंथियों का साथ दे रहे हैं, वे हिन्दुओं की इस भयानक स्थिति के संबंध में एक शब्द भी नहीं बोलते !- संपादक
  • हिन्दू बहुल क्षेत्रों में, कट्टरपंथियों को घर देने से मना करने पर, हिन्दुओं को आरोपियों के पिंजरे में खडे करने वाले क्या अब कट्टरपंथियों के इस असंवेदनशील व अनैतिक व्यवहार पर बात करेंगे ?- संपादक
  • हिन्दुओं की इस स्थिति से स्पष्ट है, कि हिन्दुओं का कोई संरक्षक नहीं है  ! यदि हिन्दू वास्तव में राजाश्रय चाहते हैं, तो उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी ही होगी !- संपादक

नई देहली – नागरिकता सुधार अधिनियम और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण अधिनियम के विरोध में, फरवरी २०२० में दिल्ली में कट्टरपंथियों ने दंगे भडकाए थे । कट्टरपंथियों के क्षेत्रों में हुए दंगों में कुल ५३ लोग मारे गए थे और ७०० से अधिक घायल हुए थे । दो वर्षों के उपरांत भी, इन क्षेत्रों में रहने वाले हिन्दुओं के अंतरमन में अत्याचार के व्रण आज भी वेदना दे रहे हैं । वे अभी भी इन क्षेत्रों से पलायन कर रहे हैं ।

पीडित हिन्दू परिवारों ने पुलिस की सहायता प्राप्त करने के उद्देश से  ‘पुलिस जनसभा’ का आयोजन किया था । बैठक के लिए, उत्तरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त संजय सेन को आमंत्रित किया गया था । बैठक में, पीडित हिन्दू परिवारों ने उन्हें पलायन करने के लिए बाध्य होने के कारण बताए । इसपर पुलिस उपायुक्त सेन ने हिन्दुओं को आश्वासन दिया, कि उनकी समस्या के समाधान के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया गया है और इस मुद्दे पर ‘अन्य समुदाय’ के लोगों के साथ चर्चा की जा रही है । (पुलिस स्पष्ट करे कि ‘अन्य समुदाय’ कौन है ! – संपादक)

२ वर्षों पूर्व घटित दंगों के संदर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालया ने कहा था, कि ये दंगे अचानक नहीं हुए थे, अपितु वे एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र के कारण हुए थे ।