नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा विशेष ‘ऑनलाइन’ संवाद का आयोजन
झारखंड, बंगाल, असम, मणिपुर, त्रिपुरा एवं बांग्लादेश के धर्मप्रेमियों की उत्स्फूर्त उपस्थिति
धनबाद (झारखंड) – नेताजी सुभाषचंद्र बोस की १२५ वीं जयंती के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा विशेष ‘ऑनलाइन’ संवाद का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम में विविध मान्यवरों ने उपस्थितितों का मार्गदर्शन किया । झारखंड, बंगाल, असम, मणिपुर, त्रिपुरा एवं बांग्लादेश के धर्मप्रेमी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन सम्मिलित हुए थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति के श्री. विकास सिंह ने किया । इस ऑनलाइन कार्यक्रम में मान्यवरों द्वारा व्यक्त किया मनोगत आगे दिया है ।
नेताजी के तत्त्वज्ञान एवं ईश्वरीय अधिष्ठान के बल पर हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में योगदान देना आवश्यक ! – शंभू गवारे, पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आत्मसमर्पण के तत्त्वज्ञान एवं ईश्वर के अधिष्ठान के बल पर कार्य करने की प्रेरणा लेकर हमें हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में योगदान बढाने की आवश्यकता है । नेताजी में प्रतिकूल परिस्थितियों पर मात करने की क्षमता, निरंतरता, दृढता, पराक्रम की पराकाष्ठा एवं संगठन कुशलता, इन गुणों को हमें भी अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है ।
१. श्री. रितेश कश्यप, पत्रकार, पांचजन्य, झारखंड : देश के लिए कुछ करना है, तो हमें किसी भी प्रतिष्ठा की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, यह आदर्श नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अपने आचरण से हमारे समक्ष रखा है । आज उसकी अत्यंत आवश्यकता है ।
२. अधिवक्ता राजेश चौबे, बंगाल : अब तक किसी भी सरकार ने नेताजी से संबंधित प्रमाण सार्वजनिक नहीं किए हैं । भविष्य में भी वे कभी सार्वजनिक होंगे, ऐसा लगता नहीं । इसके लिए हमें ही (हिन्दुओं को ही) प्रयत्न करना होगा ।
३. श्री. दिम्बेश्वर शर्मा, इंफाल, मणिपुर : मणिपुर के साथ नेताजी का घनिष्ट संबंध है । उन्होंने स्वतंत्रता की घोषणा मणिपुर में ही की थी, यह बात अत्यंत ही अल्प लोगों को पता है ।
४. श्री. रूपमचंद्र सरकार, गाजीपुर, बांग्लादेश : नेताजी इतने महान थे कि उनका संपूर्ण चरित्र समझना कठिन है । भारत में ही नहीं, अपितु बांग्लादेश के हिन्दुओं के मन में आज भी उनके प्रति दृढ श्रद्धा है ।
५. श्री. अनिर्बान नियोगी, भारतीय साधक समाज, बंगाल : हमें गलत इतिहास कि ‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल’, पढाया जा रहा है । प्रत्यक्ष में स्वतंत्रता की लडाई में आजाद हिन्द सेना के ६० सहस्र सैनिकों में से २४ सहस्र सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी । भारत के सर्व क्रांतिकारियों में नेताजी ‘अल्टीमेट’ (सर्वाेत्तम) थे; क्योंकि उन्होंने दृढ निश्चय किया था कि ‘अंग्रेजों को देश से बाहर निकाले बिना चैन नहीं लूंगा ।’
६. श्री. सुमन घोष, अगरतला, त्रिपुरा : यदि हम स्वामी विवेकानंद के आदर्श अनुसार नेताजी के सपनों का भारत निर्माण करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति उससे लड नहीं सकती । यह ध्यान में रखकर हमें कार्य करने की आवश्यकता है ।
क्षणिका : धर्मप्रेमियों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से हिन्दुओं में जागृति हो रही है ।
बंगाल के श्रीकृष्ण सेना के श्री. विजय यादव द्वारा समिति के विषय में गौरवोद्गार !वर्तमान परिस्थिति में हिन्दू जनजागृति समिति सर्व संगठनों को एकत्र करने का अत्यंत प्रशंसनीय कार्य कर रही है । बडप्पन लेने की मानसिकता त्यागकर, समिति के नेतृत्व में हमें एकत्र आना चाहिए । एक ही नेतृत्व में आगे गए, तब ही हमें सफलता मिल सकती है । |